निर्देशन की दुनिया में लौटने की अब उन्हें कोई जरूरत नजर नहीं आती। उन्हें लगता है कि जिन लोगों की उन्होंने उंगलियां थाम रखी है, वे उनसे काफी अच्छा कर रहे हैं, जिनमें शिल्पा रानाडे, मेघना गुलजार और विशाल भारद्वाज हैं। ‘वे अच्छी फिल्में बना रहे हैं, विशाल ने बच्चों पर फिल्म बनाई, मेघना ने प्रासंगिक विषयों पर भी फिल्म बनाई।’
गुलजार ने साल 2016 में फिल्म ‘मिर्जा’ के संवाद और पटकथा लिखी थी। वह कहते हैं, ‘अब मुझे आराम करने दो। ये लोग सिनेमाई लिहाज से मुझसे बेहतर फिल्में बना रहे हैं। पहले मेरी फिल्मों में हो सकता है कि कुछ विचार रहे हों लेकिन वे आजकल की फिल्मों की तरह अधिक सिनेमाई और अच्छे नहीं हैं। मुझे लगता है कि नई पीढ़ी मुझसे काफी आगे है। मैं उनसे आगे नहीं निकल सकता।’
गुलजार 84 साल के हो चुके हैं और अब किताबें लिखने और बच्चों के लिए कुछ खास रचने में लगे हैं। वह रानाडे द्वारा निर्देशित फिल्म ‘गोपी गवैया, बाघा बाजाइया’ के ट्रेलर लांच के मौके पर बातचीत कर रहे थे। ‘गोपी गवैया, बाघा बाजाइया’ महान फिल्मकार सत्यजीत रे के दादा उपेन्द्र किशोर रायचौधरी द्वारा रचित चरित्रों गोपी और बाघा पर आधारित है। यह फिल्म एक मार्च को रिलीज होगी।