मेरठ। शिक्षा विभाग में बड़े स्तर पर सेंध लगा रहे माफियाओं पर नकेल कसने के लिए मेरठ मिलिट्री इंटेलिजेंस की सूचना पर पुलिस और एसटीएफ ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए 35 करोड़ रुपए मूल्य की अवैध किताबों का भंडाफोड़ किया है। नकली एनसीईआरटी (NCERT) और कई बड़े ब्रांडों की लाखों किताबों का जखीरा बरामद हुआ है। पुलिस ने 6 प्रिंटिंग मशीनें व 12 लोगों को हिरासत में लिया है। ये नकली किताबें उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, राजस्थान और दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में खपाई जा रही थीं।
मेरठ थाना परतापुर क्षेत्र स्थित काशी गांव के एक गोदाम में लगभग 40 से 50 करोड़ रुपए मूल्य की किताबें रखी हुई हैं। गोदाम पर छापे की सूचना मिलते ही मालिक सचिन गुप्ता ने मोहकमपुर स्थित अपनी प्रेस में रखे महत्वपूर्ण दस्तावेज, किताबों की डाई को आग के हवाले कर दिया। एसटीएफ ने प्रेस पर छापा मारकर भारी संख्या में किताबें सील करते हुए गोदाम को सीज कर दिया है।
पुलिस ने जब गोदाम में छापेमारी की तो वहां किताबों की बाइंडिंग का काम चल रहा था। पुलिस को देख वहां काम कर रहे लोग भागने लगे, पुलिस ने 12 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस ने मौके से 35 करोड़ रुपए मूल्य की किताबें बरामद की हैं जो दूसरे राज्यों और जिलों में भेजी जाती थीं। अधिकांश किताबें 9 से 12वीं तक की फिजिक्स, केमेस्ट्री और गणित की हैं।
एनसीईआरटी द्वारा निर्धारित किए गए कोर्स को स्कूलों की मांग के अनुसार सरकारी अनुमति दिए जाने पर ही छापा जा सकता है लेकिन इसे बिना आदेश के भी अवैध रूप से छापा जाता है। मेरठ एसएसपी अजय साहनी ने बताया कि अवैध लाखों किताबों का जखीरा बरामद किया गया है, जिनका मूल्य लगभग 35 करोड़ रुपए के आसपास है।
वहीं देर शाम तक एनसीईआरटी का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। एनसीईआरटी का देशभर में एक ही कोर्स है, जिसके प्रकाशन का अधिकार दिल्ली के कुछ चुनिंदा प्रकाशकों को ही मिला हुआ है। कुछ प्रकाशक किताबों को फर्जी तौर से छापकर बेच रहे हैं। एनसीईआरटी की किताबें नेट पर डाउनलोड हैं। जिसके चलते ये किताब माफिया नेट से प्रिंट लेकर अवैध रूप से किताबों का प्रकाशन कर रहे हैं।
मेरठ किताब प्रकाशन का बड़ा हब है, यहां कई बड़े-बड़े प्रकाशन हैं।जहां इस तरह की अवैध किताबों के प्रकाशन का गोरखधंधा चल रहा है। सिर्फ एक गोदाम में छापेमारी कर 35 करोड़ की अवैध बुक बरामद करना बानगी भर है। यदि पुलिस ईमानदारी से छापेमारी को अंजाम दे, तो दर्जनभर से अधिक प्रकाशन माफिया पुलिस की गिरफ्त में हो सकते हैं।