तिरुवनंतपुरम। केरल हाई कोर्ट ने सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए एक आदेश दिया है जिसके अनुसार किसी दुर्घटना के होने की सूरत में बीमा कंपनी को सड़क हादसे के शिकार शख्स या थर्ड पार्टी को शुरू में ही मुआवजे का पैसा देना होगा, भले ही बीमा पॉलिसीधारक नशे में वाहन क्यों नहीं चला रहा हो।
कानूनी मामलों से जुड़ी वेबसाइट लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार केरल हाईकोर्ट की जस्टिस सोफी थॉमस ने अपने आदेश में कहा कि निस्संदेह जब ड्राइवर नशे की हालत में होता है तो निश्चित रूप से उसकी चेतना और इंद्रियां क्षीण हो जाती हैं जिससे वह वाहन चलाने के लिए अयोग्य हो जाता है। लेकिन पॉलिसी के तहत देयता प्रकृति में वैधानिक है और इसलिए कंपनी पीड़ित को मुआवजे के भुगतान से मुक्त नहीं हो सकती है।
केरल हाईकोर्ट मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण द्वारा दिए गए मुआवजे में वृद्धि की मांग वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अपीलकर्ता ने 4,00,000 रुपए के मुआवजे का दावा करते हुए एमएसीटी से संपर्क किया था, हालांकि, एमएसीटी ने केवल 2,40,000 रुपए का मुआवजा दिया था जिसके खिलाफ उन्होंने हाईकोर्ट में अपील की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सोफी थॉमस ने कहा कि चूंकि उल्लंघन करने वाले वाहन का बीमा कंपनी के साथ वैध रूप से बीमा किया गया था और अपीलकर्ता एक थर्ड पार्टी है, इसलिए कंपनी शुरुआत में ही उसे मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी है, लेकिन कंपनी वाहन के ड्राइवर और मालिक से इसे वसूल करने के लिए पात्र है।