कश्मीर केंद्रित राजनीति का शिकार होंगे स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव

श्रीनगर। यह जम्मूवासियों की बदनसीबी है कि उन्हें कश्मीर केंद्रित राजनीति का शिकार होना पड़ रहा है। यही कारण है कि जिस 35ए के विरोध में जम्मू संभाग के लोग विरोध बुलंद किए हुए हैं उसी को बरकरार रखने को मुद्दा बना चुनावों का बहिष्कार करने वाली नेकां तथा पीडीपी के समक्ष राज्यपाल प्रशासन झुकता नजर आ रहा है।
 
परिणामस्वरूप अब यह तय हो गया है कि राज्य में स्थानीय निकाय तथा पंचायत चुनावों को इसलिए टाल दिया जाएगा, क्योंकि कश्मीर के दोनों दल इसका बहिष्कार करने का ऐलान कर चुके हैं।
 
राज्य में गत 8 सालों से लंबित पड़े स्थानीय निकायों के चुनाव एक बार फिर टलने के आसार नजर आ रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी इन चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर चुकी हैं जबकि कांग्रेस भी चुनावों में शामिल होने को लेकर अभी असमंजस की स्थिति में है। पूरी रियासत में कहीं भी जमीनी स्तर पर इन चुनावों को लेकर कोई उत्साह या कोई सियासी गतिविधि नजर नहीं आ रही है।
 
संबधित सूत्रों ने बताया कि स्थानीय निकाय चुनावों को स्थगित करने का अंतिम फैसला राज्यपाल सत्यपाल मलिक की अध्यक्षता में होने वाली राज्य प्रशासनिक परिषद की बैठक में ही लिया जाएगा। इस बैठक में इन चुनावों को गैरराजनीतिक आधार पर कराने के लिए संबंधित अधिनियम में संशोधन का भी प्रस्ताव मंजूर हो सकता है।
 
गौरतलब है कि राज्य में स्थानीय निकायों के चुनाव वर्ष 2010 में होने थे लेकिन तत्कालीन परिस्थितियों के चलते ये चुनाव लगातार स्थगित होते रहे। गत जुलाई माह के दौरान राज्य प्रशासन ने स्थानीय निकाय चुनाव कराने का ऐलान किया था। ये चुनाव अगले माह पहली अक्टूबर से 5 अक्टूबर तक कराए जाने हैं। लेकिन राज्य के प्रमुख राजनीतिक दल नेशनल कांफ्रेंस ने करीब 10 दिन पहले धारा 35ए के संरक्षण का मुद्दा उठाते हुए स्थानीय निकाय चुनावों के बहिष्कार का ऐलान कर दिया।
 
नेशनल कांफ्रेंस के इस दांव के बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने भी राज्य के विशेष संवैधानिक दर्जे और पहचान का मुद्दा उठाते हुए कहा कि धारा 35ए के संरक्षण को केंद्र द्वारा यकीनी बनाए जाने के बाद ही वे चुनावों में हिस्सा लेंगी। धारा 35ए के अलावा नेकां और पीडीपी ने कश्मीर में मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का भी हवाला दिया है और कहा है कि मौजूदा परिस्थितियों में चुनाव नहीं कराए जाने चाहिए।
 
नेकां और पीडीपी के चुनाव बहिष्कार के ऐलान के बाद प्रदेश कांग्रेस का एक वर्ग भी इन चुनावों के बहिष्कार के पक्ष में हैं लेकिन उसने अभी तक कोई अंतिम फैसला नहीं लिया और सिर्फ भाजपा व उससे जुड़े राजनीतिक संगठन ही चुनावों को लेकर पूरी तरह सक्रिय नजर आ रहे हैं।
 
प्रशासन ने राजनीतिक दलों के चुनाव बहिष्कार के ऐलान को देखते हुए स्थानीय निकाय चुनाव गैरराजनीतिक दल आधार पर कराने के विकल्प पर भी विचार करना शुरू कर दिया लेकिन प्रमुख राजनीतिक दलों के बहिष्कार के ऐलान के चलते सिर्फ घाटी में ही नहीं, जम्मू संभाग में भी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए कोई हलचल नजर नहीं आ रही है।
 
इसके अलावा वादी में निर्दलीय आधार पर भी चुनाव लड़ने को लेकर लोगों में कोई उत्साह न होने का संज्ञान लेते हुए राज्य प्रशासन ने इन चुनावों को कुछ समय तक स्थगित करने के विकल्प पर भी गंभीरता से विचार शुरू कर दिया है।

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