जयललिता ने एक ही तारीख को दूसरी बार ली मुख्यमंत्री पद की शपथ

सोमवार, 23 मई 2016 (15:00 IST)
अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे. जयललिता ने सोमवार को एक वर्ष के भीतर दूसरी बार एक ही तारीख को तमिलनाडु की मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि उन्होंने यूं तो आज छठीं बार तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली। जयललिता के साथ उनके 28 अन्य करीबियों ने भी शपथ ली जिनमें ओ पन्नीरसेल्वम शामिल हैं। तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया ने इन लोगों को शपथ दिलाई और सभी ने ईश्वर के नाम पर तमिल में शपथ ली।
अपने मंत्रिमंडल में अन्नाद्रमुक प्रमुख ने पूर्ववर्ती मंत्रिमंडल के 15 चेहरों को बरकरार रखा है और तीन महिलाओं सहित 13 नए चेहरे शामिल किए हैं। शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, पोन राधाकृष्णन, लोकसभा उपाध्यक्ष और अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता एम थंबीदुरई तथा जयललिता की खास सखी शशिकला मौजूद थे और आगे की पंक्ति में बैठे थे।
 
द्रमुक के कोषाध्यक्ष एम के स्टालिन, द्रमुक के पूर्व मंत्री ई वी वेलु, पोनमुडी, पार्टी के विधायक शेखर बाबू, वगई चंद्रशेखर और कू का सेल्वम भी शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए। दशकों से राज्य में द्रमुक नेता और अन्नाद्रमुक नेता एक दूसरे के शपथग्रहण समारोहों से स्वयं को दूर रखते थे।
 
अन्नाद्रमुक समर्थकों के ‘पुरची थलवी अम्मा वझगा’ (क्रांतिकारी नेता अम्मा अमर रहे) नारों के बीच जयललिता मद्रास विश्वविद्यालय के सजे धजे ऑडिटोरियम पहुंचीं। वह हरे रंग की साड़ी पहने हुए थीं। नारों की गूंज जयललिता के शपथ लेने के बाद दस्तावेजों के हस्ताक्षर करने तक सुनाई दी।
 
आय से अधिक संपत्ति के एक मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा बरी किए जाने के बाद जयललिता ने ठीक एक वर्ष पहले 23 मई, 2015 को पांचवीं बार राज्य की मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण किया था। इस महीने 16 मई को हुए राज्य विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद 68 वर्षीय नेता ने ठीक एक वर्ष बाद एक बार फिर से शपथ ग्रहण किया। 
 
राजनीतिक मिथक को तोड़ते हुए अन्नाद्रमुक तमिलनाडु में एक बार फिर सत्ता में आई। वर्ष 1984 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है जब एक ही पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में आई हो। इस महीने की 19 तारीख को घोषित परिणाम में अन्नाद्रमुक ने राज्य विधानसभा में 134 सीटें जीत ली। राज्य में 32 साल का इतिहास बदलते हुए जयललिता ने लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए आज शपथ ली है।

लंबे समय से अन्नाद्रमुक और द्रमुक एक-एक करके सत्ता में आती रही हैं। उनके शपथ ग्रहण समारोह में द्रमुक ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई जबकि राज्य में अब तक प्रतिद्वन्द्वी के शपथ ग्रहण समारोह से दूर रहने का चलन रहा है।

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