मांझी ने दामाद को बनाया पीए, बवाल के बाद...

गुरुवार, 6 नवंबर 2014 (09:26 IST)
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने दामाद देवेंद्र कुमार को अपना निजी सहायक नियुक्त किए जाने को लेकर विवाद में घिर गए और मुख्यमंत्री के इस फैसले पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आने के बाद कुमार ने पद से इस्तीफा दे दिया।
 
मांझी के निजी सहायक (पीए) नियुक्त किए गए कुमार ने मंगलवार रात कहा, 'मैंने अपना इस्तीफा मुख्यमंत्री के निजी सचिव को भेज दिया है।' उन्होंने कहा कि लोग उनकी नियुक्ति पर सवाल उठा रहे थे इसलिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
 
इससे पहले मांझी ने कुमार को अपना पीए और एक अन्य रिश्तेदार को आदेशपाल नियुक्त किया था जिसकी कड़ी निंदा करते हुए भाजपा ने मुख्यमंत्री पर नियमों को तोड़ने का आरोप लगाया।
 
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग द्वारा इसी वर्ष जून महीने में जारी एक अधिसूचना के अनुसार मांझी ने अपने दामाद कुमार को अपने निजी सहायक के तौर पर नियुक्त किया था। मांझी के एक अन्य रिश्तेदार सत्येंद्र कुमार को भी आदेशपाल के तौर पर नियुक्त किया गया। 

इस मामले में प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि इससे परिलक्षित होता है कि जदयू सरकार में कितना भ्रष्टाचार व्याप्त है।
 
अगले पन्ने पर... मांझी ने किया इस आदेश का उल्लंघन... 

मांझी के दामाद और उनके रिश्तेदार को क्रमश: उनका निजी सहायक और आदेशपाल नियुक्त किया जाना राज्य सरकार के 23 मई 2000 को जारी विभागीय आदेश का उल्लंघन है जिसमें यह कहा गया था कि सरकार ने निर्णय लिया है कि मंत्री, राज्य मंत्री अथवा उपमंत्री के सगे-संबंधी उनके आप्त सचिव या निजी कर्मी के रूप में नहीं नियुक्त किए जाएंगे।
 
मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग के तत्कालीन सचिव गिरीश शंकर द्वारा हस्ताक्षरित उक्त अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि यह महसूस किया गया है कि यदि मंत्री, राज्य मंत्री अथवा उपमंत्री के सगे-संबंधी उनके आप्तसचिव अथवा निजी कर्मी के रूप में नियुक्त हो जाएं तो उससे सरकारी कामकाज प्रभावित होने की आशंका है।
 
अधिसूचना में यह भी कहा गया था कि सरकार ने यह भी निर्णय लिया है कि यदि किसी मामले में सगे-संबंधी की नियुक्ति हो गई हो तो उसे तत्काल समाप्त कर दिया जाए।
 
पटना स्थित पुराने सचिवालय में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक के बाद मांझी से इस बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हम लोगों पर इस तरह के आरोप लगते रहते हैं। यह कोई मुद्दा नहीं है।' पत्रकारों ने जब कहा कि यह सरकार के साल 2000 के एक आदेश का उल्लंघन है तो मांझी ने कहा ‘वह इसे देख लेंगे।’
 (भाषा)

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