कामाख्या मंदिर में पंद्रह दिन तक दुर्गा पूजा

बुधवार, 1 अक्टूबर 2014 (17:11 IST)
गुवाहाटी। देशभर में जहां वार्षिक दुर्गा पूजा का आयोजन 9 दिन तक किया जाता है, वहीं शक्ति की उपासना की एक बड़ी पीठ कामाख्या मांदिर में यह आयोजन 15 दिन तक चलता है। इस मंदिर में शक्ति की भक्ति के अधिकांश कार्य बंद दरवाजों के अंदर किए जाते हैं।
 
नीलाचल की पहाड़ियों पर स्थित कामाख्या मंदिर में दुर्गा पूजा के आयोजन का लंबा इतिहास माना जाता है।
 
कामाख्या डेबोत्तर बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य बृज शर्मा के अनुसार इसकी शुरुआत अश्विन माह (सितंबर मध्य से अक्टूबर मध्य) में चन्द्रमा के घटने के नौवें दिन यानी ‘कृष्ण नवमी’ पर होती है और इसका समापन चन्द्रमा के बढ़ने के नौवें दिन यानी ‘शुक्ल नवमी’ पर होता है।
 
उन्होंने कहा कि पूजा 15 दिन या एक ‘पक्ष’ तक चलती है। स्थानीय तौर पर इसे ‘पखुवापूजा’ कहते हैं। बोर्ड के प्रसिद्ध विद्वान प्रदीप शर्मा ने कहा कि इस पूजा का सबसे खास पक्ष यह है कि इसमें देवी दुर्गा की कोई तस्वीर नहीं होती।
 
पूजा मुख्य ‘पीठ’ में की जाती है जिसकी आकृति शंकु के आकार की है। इसकी लंबाई 9 इंच और चौड़ाई 15 इंच है। चयनित पुजारियों द्वारा इन 15 दिनों के दौरान प्रतिदिन विशेष पूजा की जाती है। इस अवसर पर मंदिर के दरवाजे श्रद्धालुओं के लिए बंद रखे जाते हैं।
 
इन पुजारियों को चक्रीय क्रम में प्रतिवर्ष चुना जाता है। ये सभी इन 15 दिनों के लिए अपने घरों से दूर नीलाचल पहाड़ियों में स्थित मंदिर में एकसाथ रहते हैं। मुख्य पुजारी पूजा करता है जबकि अन्य पुजारी मंत्रों का उच्चारण करते हैं। (भाषा)

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