जम्मू। कारगिल को लेह जिले के साथ रखकर और जम्मू-कश्मीर से अलग कर केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने से नाराज कारगिल के नागरिकों ने कहा है कि उनके विशेषाधिकार बरकरार रहने चाहिए। वे उन सब अधिकारों को वापस चाहते हैं, जो उन्हें धारा 370 तथा 35ए के तहत मिले हुए थे।
दरअसल, केंद्र शासित प्रदेश बनने की घोषणा के बाद से ही कारगिल के लोगों में रोष है। भाजपा को छोड़ अन्य सभी राजनीतिक दलों के नेता और कार्यकर्ता एकजुट हो गए हैं। उन्हें भय सता रहा है कि उन्हें जो विशेषाधिकार मिले थे, वे वापस ले लिए जाएंगे। स्थानीय नेता नसीर मुंशी का कहना है कि कारगिल के लोगों ने कभी भी जम्मू-कश्मीर से अलग होने की बात नहीं की। हम तो एकजुट होकर रहना चाहते थे। जो भी फैसला हुआ, उसमें उनकी राय नहीं ली गई।
वहीं केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद गठित ज्वॉइंट एक्शन कमेटी के सदस्य समझौते के मूड में तो हैं, लेकिन इसके बदले वे अपने अधिकारों का संरक्षण चाहते हैं। उनका कहना है कि लद्दाख ऑटोनामस हिल डेवलपमेंट काउंसिल कारगिल के गठन के बाद वे सशक्त हुए थे तथा इसे और मजबूत बनाया जाए। पहले की तरह ही यहां की भूमि पर सिर्फ स्थानीय लोगों का अधिकार हो।
उनका कहना है कि रोजगार में भी स्थानीय युवाओं को ही प्राथमिकता मिले। उनकी संस्कृति का संरक्षण हो। जो भी मूलभूत सुविधाएं हैं, वे कारगिल के लोगों के लिए हों। इस मुद्दे पर वे गृहमंत्री या फिर गृह मंत्रालय के अधिकारियों से सीधे बातचीत करना चाहते हैं।