एक बयान में केरल राज्य मानवाधिकार आयोग (केएसएचआरसी) ने कहा है कि उत्तरी मलप्पुरम जिले में एक अस्पताल में खतना के दौरान बच्चे के निजी अंग का 75 प्रतिशत हिस्सा कट गया। खतना करने वाले डॉक्टर को ऑपरेशन करने का महज 3 साल का तजुर्बा था। डॉक्टर के ज्यादा अनुभवी नहीं होने के कारण बच्चा गंभीर रूप से घायल हो गया।
बच्चों की सर्जरी के लिए अभिभावकों और डॉक्टरों के बीच और ज्यादा जागरूकता फैलाने के भी निर्देश दिए गए हैं। अपनी रिपोर्ट में स्वास्थ्य विभाग ने कहा था कि बच्चे के अभिभावक को उसके उपचार के लिए डेढ़ लाख रुपए से ज्यादा खर्च करना पड़ा। दक्षिणी राज्य सहित दुनियाभर में मुस्लिम समुदाय के बीच बच्चों का खतना कराने की प्रथा है।