लखनऊ मेट्रो, दागी फ्रेंच कंपनी को मिला 1202 करोड़ का ठेका

लखनऊ मेट्रो में फ्रेंच मल्टीनेशनल इंजीनियरिंग फर्म एल्सटोम को सारे नियम कानून को धता बताकर 150 मिलियन यूरो अर्थात 1202 करोड रुपए का (रोलिंग स्टाक टेंडर) रेल कोच एवं सिग्नल प्रणाली का ठेका मिलने से नया विवाद पैदा हो गया है, जिससे प्रदेश की राजनीति गरमा गई है। इस मामले में एक जनहित याचिका भी उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
एक तो करेला दूसरा नीम चढ़ा। एक तो यह फर्म दागी है, इसके पूर्व प्रबंध निदेशक पर लंदन के सीरियस फ्राड आफिस (एसएफओ) में दिल्ली मेट्रो, पोलेंड व ट्‌यूनीशिया सहित कई देशों में भ्रष्टाचार व अधिकारियों को घूस देने के मामले में आरोप पत्र दाखिल हैं। ऐसी फर्म को लखनऊ मेट्रो के रेल कोच एवं सिग्नल प्रणाली का ठेका देने से कई प्रश्न उठ रहे हैं।
 
दूसरे, यह कि फ्रेंच फर्म एल्सटोम ने लखनऊ मेट्रो में सबसे कम दर पर निविदा भी नहीं डाली थी फिर भी ठेका हासिल कर लिया। इस फ्रेंच फर्म से लगभग 70.94 करोड़ रुपए कम दर पर बोली लगाने वाली दूसरी फर्म को काम का ठेका नहीं मिला। 
 
निम्न बोली लगाने वाली दूसरी फर्म को ठेका मिलना तो दूर, उस फर्म को काम न देने की सूचना या काम न देने का कारण बताना भी लखनऊ मेट्रो को गवारा नहीं। इस संवाददाता को जानकारी मिली है कि फ्रेंच फर्म एल्सटोम ने पोस्ट टेंडर  निगोसिएशन कर सबसे निम्न दर अंकित करने वाली दूसरी फर्म की लगाई गई बोली की दर पर काम करने की हामी भर दी, जो कि सीवीसी नियमों का खुला उल्लंघन है। 
 

मजेदार बात यह है कि टेंडर विवाद और एल्सटोम की पोल उजागर होने पर सरकार को इसकी लिखित जानकारी देने वाले व्हिसिल ब्लोवर मघुकर जेटली को सरकार ने पिछले दिनों उत्तरप्रदेश सरकार की वाह्य सहायतित परियोजनाओं के सलाहकार पद से बर्खास्त कर दिया है। मघुकर जेटली की बर्खास्तगी के कारणों पर सस्पेंस बरकरार है।
 
उल्लेखनीय है कि 5 अक्टूबर को फ्रेंच इंजीनियरिग फर्म एल्सटोम को 150 मिलियन यूरो का ठेका लखनऊ मेट्रो में मिला है जिसके तहत वह रेल कोच तैयार करके देगी। लखनऊ मेट्रो को यह फर्म प्रारंभिक तौर पर प्रत्येक 4 कार के 20 ट्रेन सेट अर्थात कुल 80 कार तैयार करके देगी।
 
यह भी उत्लेखनीय है कि लखनऊ मेट्रो रेल परियोजना हेतु वाहृय ऋण उपलब्ध कराए जाने के संबंध में फ्रेन्च डेवलपमेन्ट एजेंसी व यूरोपियन इनवेस्टमेंट बैंक से सरकार की बात चल रही है। कहीं इस टेंडर विवाद से लखनऊ मेट्रो को विवादों का ग्रहण न लग जाए।
 
विवादित फ्रेंच फर्म एल्सटोम को ठेका दिलाने में लखनऊ मेंट्रो के प्रधान सलाहकार पद्‌म विभूषण डॉ. ई. श्रीधरन व प्रबंध निदेशक कुमार केशव की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है क्योंकि दोनों ही दिल्ली मेट्रो में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह कर चुके हैं। दिल्ली मेट्रो मामले में फ्रेंच फर्म एल्सटोम पर ब्रिटेन में आपराधिक वाद कायम है जिसमें दिल्ली मेट्रो के अधिकारियों को घूस देने का आरोप है।
 
कहा जा रहा है कि डीएमआरसी के निदेशक कुमार केशव ने दिल्ली मेट्रो के निदेशक पद से इस्तीफा दे दिया था। डीएमआरसी छोड़ने के बाद में कुमार केशव ऑस्ट्रेलिया बस गए थे। इस संवाददाता को सूत्रों ने बताया कि कुमार केशव ने डीएमआरसी से इस्तीफा नहीं दिया बल्कि उन्हें हटाया गया था।
 
एलएमआरसी के प्रमुख सलाहकार ई. श्रीधरन के खास लोगों में कुमार केशव शामिल हैं। वह आईआईटी कानपुर के पासआउट हैं। कुमार केशव ने दिल्ली मेट्रो में पहले फेज में बने द्वारका से सेक्टर नौ तक के मेट्रो रूट का काम कराया था। उस समय वह चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर थे। वहीं मुंडका से बदरपुर तक के लिए हुए काम के दौरान वह डायरेक्टर बनाए गए थे। 
 
इस संवाददाता ने ई. श्रीधरन से उनके मोबाइल फोन पर लखनऊ मेट्रों विवाद पर जब जानकारी करनी चाही तो उन्होंने मीटिंग में व्यस्त रहने की बात कहकर बात करने से इंकार कर दिया।
 
यद्यपि समाजवादी पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में मेट्रो का कहीं कोई जिक्र नहीं किया था किन्तु आज लखनऊ मेट्रो समाजवादी पार्टी की सरकार की सबसे महात्वाकांक्षी परियोजना है, जिसे अखिलेश सरकार ने अपने ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में पेश किया है। सरकार को विश्वास है कि भले ही कुछ स्टेशनों के बीच ही सही, वर्ष 2016 के अंत तक लखनऊ मेट्रो की शुरुआत हो जाएगी।
ऐसे होंगे लखनऊ  मेट्रो के स्टेशन और रूट... पढ़ें अगले पेज पर....
 
 
 

लखनऊ मेट्रो एक नजर : लखनऊ मेट्रो का रूट लगभग 23 किलोमीटर का होगा जिसमे 22 स्टेशन होंगे। 19 स्टेशन एलीवेटेड व 3 स्टेशन अंडरग्राउंड होंगे। यह प्रोजेक्ट दो चरणों में पूरा होगा। नार्थ-साउथ कारीडोर व ईस्ट-वेस्ट कारीडोर, मेट्रो निर्माण के पहले चरण में 8.3 किलोमीटर का कारीडोर होगा। पहले चरण के निर्माण में 12500 करोड रुपए की लागत आने की संभावना है।
 
पहले चरण में ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक का कार्य हो रहा है। इसके अंतर्गत ट्रांसपोर्ट नगर से चारबाग तक निर्माण कार्य को तीन चरणों में बांटा गया है। अमौसी से चारबाग तक 261 पिलर पर मेट्रो दौड़ेगी। हालांकि अमौसी से ट्रांसपोर्ट नगर तक दूसरे चरण में काम होगा। ट्रांसपोर्ट नगर से कृष्णा नगर स्टेशन तक 68 पिलर बनेंगे, जबकि कृष्णा नगर से सिंगार नगर तक 45, आलमबाग से आलमबाग बस स्टेशन तक 21, मवैया तक 20, दुर्गापुरी स्टेशन तक 36 पिलर बनेंगे। इसके बीच में मवैया रेलवे पुल के ऊपर स्पेशल स्पैन बनाया जाएगा।
मेट्रो रेल परियोजना के डिटेल्ड डिजाइन कंसल्टेंट मेसर्स सिस्ट्रा इंडिया लिमिटेड ने मेट्रो स्टेशनों की डिजाइन फाइनल कर दी है। सभी स्टेशन दिखने में एक दूसरे से अलग होंगे। इनमें चारबाग में प्रस्तावित मेट्रो स्टेशन सबसे अलग होगा। यहां टू इन वन टाइप का स्टेशन बनाया जाएगा। इन समस्त स्टेशनों को इस प्रकार से डिजाइन किया गया है कि एक प्लेटफार्म पर छह कोच खड़े हो सकें।
 
प्राथमिक सेक्शन के आठ किमी में छह कोच वाली मेट्रो रेल चल सकेगी। सभी स्टेशनों पर दूसरी ओर जाने के लिए फुटओवर ब्रिज की सुविधा भी यात्रियों को मिलेगी। वहीं सामान्य लोग भी बिना प्लेटफार्म टिकट के आ जा सकेंगे। इसके अलावा तीन स्टेशनों पर ही पार्किग की सुविधा यात्रियों को मिलेगी। चारबाग में प्रस्तावित चारबाग मेट्रो स्टेशन के बनने में लगभग 50 करोड़ रूपए की लागत आने का अनुमान है। जबकि अन्य स्टेशनों की प्रस्तावित लागत 30 करोड़ है।
 
दिसंबर 2016 के अंत में लखनऊ मेट्रो रेल का ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा। तीन महीने के ट्रायल के बाद आरडीएसओ इसका आक्सीलेशन ट्रायल करेगा। वहीं सीआरएस की गाइड लाइन से पास होने के बाद मेट्रो को सवारी उपयोग के लिए हरी झंडी दिखाई जाएगी। 
 
चारबाग से केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक भूमिगत मेट्रो रूट के लिए टेंडर अक्टूबर में होंगे। सिस्ट्रा ने स्टेशनों की डिजाइन तैयार कर ली है। टेंडर फाइनल होने के बाद अगले साल मार्च-अप्रैल में निर्माण कार्य शुरू होने की उम्मीद है। 3.440 किमी अंडरग्राउंड रूट 30 महीने में तैयार हो जाएगा, जबकि इस फेज को पूरा होने में पांच साल का समय लगेगा। मुख्य सड़क होने के कारण स्टेशन स्थल पर निर्माण के दौरान ट्रैफिक डायवर्ट करना पड़ेगा। मेट्रोमैन श्रीधरन का कहना है कि लगभग 650 करोड़ का यह कार्य ढाई साल में पूरा होगा जबकि रोलिंग स्टाक एंड सिगनलिंग तथा इलेक्ट्रिकल सहित पूरी तरह से कम्पलीशन में पांच साल लगेंगे।
 
कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी (सीएआरएस) की तर्ज पर मेट्रो में सीएमआरएस होगा। इसके साथ ही शहरी विकास मंत्रालय से सिविल एविएशन सेक्रेटरी को नामित किया जाएगा। ट्रायल के लिए ट्रैक का ग्राउंड तैयार हो रहा है। नवंबर में डिपो में ट्रेन को कमिशनिंग किया जाएगा, जबकि तीन महीने तक इसका ट्रायल किया जाएगा। ट्रायल पूरे आठ किमी मेट्रो रूट में रहेगा। इस दौरान इसके सिगनलिंग, कम्यूनिकेशन सिस्टम सहित आठ स्टेशनों की टेस्टिंग की जाएगी। ऑटोमैटिक फेयर कलेक्शन के लिए टेंडर जल्द पूरा कर लिया जाएगा।
 
मेट्रो मैन ने बताया कि पीआईबी की मंजूरी के बाद विदेशी लोन के लिए कोई समस्या नहीं है. ईआईबी से ऋण को लेकर दिसंबर तक अनुबंध हो जाएगा। भारत सरकार, ईआईबी और एलएमआरसी के बीच अनुबंध होगा। बैंक 1.1 प्रतिशत  ब्याज पर लोन देगा। वहीं विदेशी करेंसी होने के चलते मेट्रो का अंतरराष्ट्रीय बैंक में एकाउंट होगा, जबकि काम के आधार पर एलएमआरसी को पैसा मिलता रहेगा।
 
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का होगा विस्तार : मेट्रो के पहले फेज को पीआईबी यानी केंद्र सरकार का एपूवल मिलने के बाद बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का पुनर्गठन होगा।  इसमें केंद्र सरकार के पांच, राज्य सरकार से पांच और फंक्शनल के तौर पर चार अधिकारी नामित होंगे।

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