गरीबी की पराकाष्ठा! किसान ने बैल की जगह बेटियों को जोता...

रविवार, 9 जुलाई 2017 (22:04 IST)
सीहोर (मप्र)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के गृह जिले के ग्राम बसंतपुर पांगरी में आर्थिक तंगी के चलते बैल न खरीद पाने की वजह से एक आदिवासी गरीब किसान अपनी नाबालिग दो बेटियों को बैलों की तरह जोतकर पिछले दो साल से हल चला रहा है। यह इलाका सीहोर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर है और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के निर्वाचन क्षेत्र विदिशा में भी आता है।
 
किसान सरदार बरेला (42) ने बताया कि वह पिछले दो साल से गरीबी के मारे बैल नहीं खरीद पा रहा है और अपनी दो बेटियों राधा (13) एवं कुंती (9) को बैलों के बदले जोतकर अपने खेत में हल चलाता हूं। बरेला ने कहा कि उसके पास बेटियों को पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं। शासन की योजनाओं का लाभ उसे नहीं मिल पा रहा है।
 
यह मामला कल तब सामने आया, जब सोशल मीडिया पर इसका वीडियो वायरल हो गया। मीडिया में खबर आने के बाद प्रशासन हरकत में आया और आनन-फानन में पटवारी को आज गांव में भेजा गया। प्रशासन ने किसान को हिदायत दी है कि भविष्य में ऐसा न करे।
 
जिला जनसम्पर्क अधिकारी आशीष शर्मा ने कहा कि प्रशासन की जानकारी में मामला मीडिया द्वारा सामने लाया गया है। किसान को सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। मैदानी अमला इस गांव में भेजा गया है, वहीं क्षेत्र के पटवारी रामाधार कीर अचानक ग्राम बसंतपुर पांगरी पहुंचे और उन्होंने माना कि इस किसान के पास बैल नहीं हैं।
 
इसी बीच बालिका राधा एवं कुंती ने बताया कि हम पढ़ना चाहते हैं, मगर हमारे पास पैसे नहीं है। काम के लिए पढ़ाई छोड़ दी है। जब पटवारी इस गांव में पहुंचा, तो उस वक्त भी ये दोनों बहनें आज खेत में बैल की जगह जुतकर कार्य करती नजर आई थीं। हालांकि पटवारी ने इस बारे में कुछ भी कहने से मना कर दिया। (वार्ता)
(चित्र सौजन्य : सोशल मीडिया) 

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