सोमवार रात 11 बजे महाकाल की शयन आरती के बाद गर्भगृह के पट बंद कर दिए गए थे। अल सुबह 3 बजे जब पंडितों ने गर्भगृह खोला तो अंदर पानी भरा था। ऐसे में उन्होंने पानी के अंदर खड़े होकर की भस्म आरती की। सुबह सात बजे मोटर के द्वारा पानी गर्भगृह के बाहर निकाला गया।