उच्च न्यायालय की पीठ पुरोहित की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है जिसमें उसने मामले में अपने खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों को रद्द करने का अनुरोध किया है। महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव शहर में 29 सितंबर 2008 को एक मस्जिद के पास मोटरसाइकिल पर रखे गए बम में विस्फोट होने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 100 लोग घायल हो गए थे।
गोखले ने कहा कि पुरोहित महज अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे थे इसलिए एनआईए को उनके खिलाफ मुकदमा चलाने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति हासिल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 197 (दो) के तहत सैन्य बलों के सदस्यों द्वारा किसी भी अपराध के खिलाफ केंद्र सरकार की पूर्व की अनुमति के बाद ही मुकदमा चलाया जा सकता है।
पुरोहित ने अपनी दलील में कहा, मैं इन दस्तावेजों का जिक्र इसलिए कर रहा हूं क्योंकि मैं अपना फर्ज निभा रहा था। इन समूहों के बीच पैठ बनाकर मैं अपने वरिष्ठों को गुप्त सूचनाएं भेजा करता था और इस कार्य के लिए मुझे जेल में डाल दिया गया, मुझे यातना दी गई और मुझे आतंकवादी बताया गया।