बनर्जी ने ट्वीट में कहा कि हृदयहीन, आधारहीन भाषण। 112 से अधिक लोगों की कतारों में मृत्यु हुई, लेकिन वे उन्हें श्रद्धांजलि देना भूल गए। राष्ट्र के नाम संबोधन की आड़ में वे ले रहे हैं राजनीतिक बदला।
उन्होंने कहा कि कालाधन समाप्त करने के नाम पर वित्तीय आपातकाल चल रहा है। बैंकों में धन उपलब्ध नहीं हो रहा है। समस्याओं के समाधान के कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। वादे टूट गए हैं, वादे धराशायी हो गए हैं। लोग भिखारी नहीं हैं। आम आदमी के वित्तीय अधिकार छीन लिए गए हैं। डिमोनेटाइजेशन समाप्त हुई है, डिमोदीटाइजेशन शुरू हुई है। वर्ष 2017 डिमोनेटाइजेशन के रूप में याद किया जाएगा।
उन्होंने मोदी के शनिवार रात के राष्ट्र के नाम संबोधन का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कालेधन और नोटबंदी के वास्तविक एजेंडे से हट गए हैं और उन्होंने वित्तमंत्री का पद संभाल लिया और बजट पूर्व भाषण दे डाला। तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने कहा कि तो वित्तमंत्री अग्रिम बजट भाषण से चूक गए, इसे मोदी ने पूरा कर दिया। मोदी बाबू 'खाली खोखे ज्यादा आवाज करते हैं'।
गौरतलब है कि मोदी ने नोटबंदी के 50 दिन पूरे होने के बाद शनिवार रात राष्ट्र के नाम संबोधन में महिलाओं, बुजुर्गों, किसानों, व्यापारियों आदि के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है। (वार्ता)