सिंह ने बताया कि सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को भी रैली में लाने की कोशिशें की जा रही हैं। वर्ष 1993 में प्रदेश में मिलकर सरकार बनाने वाली सपा और बसपा के बीच दूरियां चर्चित ‘गेस्ट हाउस कांड’ के बाद इस कदर बढ़ गईं कि उन्हें एक नदी के दो किनारों की संज्ञा दी जाने लगी। माना जाने लगा कि अब ये दोनों दल एक-दूसरे से कभी हाथ नहीं मिलाएंगे, लेकिन इसे सियासी तकाजा कहें या फिर समय का फेर, इन दोनों दलों के नेता अब मंच साझा करने को तैयार हो गए हैं।