डायरिया नियं‍त्रण पर मीडिया कार्यशाला

सोमवार, 27 जुलाई 2015 (17:11 IST)
इंदौर। समाज की भ्रांतिपूर्ण और गलत धारणाओं के कारण मध्यप्रदेश में 5 वर्ष तक की उम्र के करीब 28 हजार बच्चे डायरिया जैसी बीमारी के कारण दम तोड़ देते हैं। यदि इन गलत धारणाओं को दूर कर लिया जाए तो डायरिया से होने वाली सैकड़ों बच्चों की मौतों को रोका जा सकता है।
ये तथ्‍य 27 जुलाई से 8 अगस्त तक प्रदेश में चलने वाले सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़े की शुरुआत में इंदौर में सोमवार को आयोजित मीडिया कार्यशाला में सामने आए। विशेषज्ञों ने बताया कि डायरिया को आमतौर पर मामूली बीमारी मान लिया जाता है, लेकिन यदि समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह जानलेवा हो जाती है।
 
एसआरएस 2013 की रिपोर्ट के अनुसार देश में हर घंटे 5 वर्ष से कम उम्र के 23 बच्चों की मौत डायरिया से होती है। इस उम्र के 2 लाख 5 हजार से अधिक बच्चे डायरिया के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं। मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा करीब 27 हजार 700 बच्चे प्रतिवर्ष है।
 
कार्यशाला में बताया गया कि बच्चे को लगातार साफ पानी पिलाने और ओआरएस घोल व जिंक की गोली देने जैसे कुछ आसान उपायों से ही डायरिया से होने वाली मौतों को रोका जा सकता है। ओआरएस व जिंक की गोली सरकारी अस्पतालों में मुफ्त मुहैया कराई जाती है।
 
आमतौर पर जब बच्चों को दस्त लगते हैं, तो गलत धारणा के कारण उन्हें कुछ खाने-पीने को नहीं दिया जाता, जबकि ऐसे समय में बच्चों को सामान्य आहार के साथ पानी और ओआरएस का घोल लगातार दिया जाना चाहिए।
 
डायरिया का शिकार हुए बच्चों के लिए मां का दूध बहुत बड़े उपचार का काम करता है। ओआरएस घोल लगातार पिलाने से 93 प्रतिशत और जिंक की गोली देने से 23 प्रतिशत मौतों को कम किया जा सकता है।
 
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्यप्रदेश के संचालक फैज अहमद किदवई के मुताबिक सघन दस्त नियंत्रण पखवाड़े के दौरान प्रदेश में साफ-सफाई को लेकर जागरूकता पैदा की जाएगी। ओआरएस एवं जिंक टेबलेट वितरण केंद्र खोले जाएंगे। आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गांवों और शहरी बस्तियों में ओआरएस एवं जिंक टेबलेट का वितरण किया जाएगा और माता-पिता को शिशुओं के खान-पान संबंधी व्यवहार के बारे में बताया जाएगा।

वेबदुनिया पर पढ़ें