श्रीनगर। कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने की खातिर लश्करे तोइबा ने भी अब अपनी रणनीति को बदल दिया है। उसने अब स्थानीय आतंकियों को ही कमान सौंपने की नीति अपना रखी है। यह बुरहान वानी की मौत के बाद उसके द्वारा जुनैद मट्टू को कश्मीर का कमांडर नियुक्त करने से साबित हुआ है। हिज्बुल मुजाहिदीन भी पहले से ऐसा ही करता आया है। जानकारी के लिए पहले लश्करे तोइबा और हिज्ब द्वारा विदेशी आतंकियों को ही कमांडर नियुक्त किया जाता रहा था।
जुनैद मट्टू ने 2014 में आतंकी संगठन को ज्वाइन किया था। यहीं वह वक्त था जब बुरहान वानी सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोर रहा था और उसे युवाओं का जबरदस्त समर्थन मिल रहा था। बुरहान वानी की मौत से कुछ दिन पहले 4 जून को जुनैद मट्टू का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ जिसमें वह अनंतनाग में एक पुलिस चौकी पर हमला करता दिखाई दे रहा था। इस हमले में दो पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी।
सुरक्षा एजेंसियों को यह भी खबर मिली है की अनंतनाग में पुलिस चौकी पर हमला करने से ठीक पहले उसने बीएसएफ के जवानों की बस को भी निशाना बनाया था। श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे पर हुए इस हमले में बीएसएफ के तीन जवानों की मौत हो गई थी जबकि 7 जवान बुरी तरह घायल हो गए थे। इस घटना के बाद जुनैद मट्टू सुरक्षाबलों के राडार पर था और उसे पकडने के लिए 5 लाख इनाम की भी घोषणा की गई।
सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक लश्कर का मोस्ट वांटेड कमांडर अबू दुजाना अभी तक इसलिए बचा हुआ है क्योंकि उसे कश्मीर के लोकल का सपोर्ट हासिल है। और यही वजह है कि घाटी में हुए ज्यादातर लश्कर अटैक में वह सफल भी रहा है और पकड़ा भी नहीं गया है। बता दें पिछले महीने सुरक्षाबलों ने लश्कर के टॉप ऑपरेटिव उमर खालिक को सोपोर से गिरफ्तार किया था।