आबकारी आरक्षक के बैंक खातों में मिले 20 लाख रुपए

बुधवार, 25 फ़रवरी 2015 (22:12 IST)
इंदौर। लोकायुक्त पुलिस के दस्ते ने आबकारी विभाग के आरक्षक के बैंक खातों की जांच में बुधवार को 20 लाख रुपए जमा होने का खुलासा किया। दस्ते ने आरक्षक के निवास पर कल छापा मारकर बड़े पैमाने पर करोड़ों की उसकी बेहिसाब संपत्ति का पता लगाया था।
लोकायुक्त पुलिस के उपाधीक्षक (डीएसपी) बीएस परिहार ने बताया कि लोकायुक्त पुलिस ने खरगौन जिले बड़वाह में पदस्थ आबकारी विभाग के आरक्षक रामचंद्र जायसवाल के सुदामा नगर स्थित निवास सहित तीन ठिकानों पर कल छापा मारा था।
 
उन्होंने बताया कि लोकायुक्त पुलिस को छापे के दौरान जायसवाल के करीब 50 बैंक खातों की जानकारी मिली थी। इन खातों की आज जांच करने पर प्रारंभिक तौर पर कुछ खातों में 20 लाख रुपए की राशि जमा होने की जानकारी मिली है। आरक्षक के कुछ बैंक खातों की जांच करना अभी शेष है।
 
उन्होंने बताया कि जायसवाल की संपत्ति का विस्तृत मूल्यांकन किया जा रहा है। आरक्षक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर विस्तृत जांच की जा रही है।
 
मंगलवार के दिन लोकायुक्त ने मारा था छापा 
 
उल्लेखनीय है कि मंगलवार की सुबह जब कांस्टेबल रामचंद्र जायसवाल के इंदौर में चार ठिकानों पर जब छापे मारे तो पता चला कि उसकी अनुपातिक सम्पत्ति का मूल्य 5 करोड़ रुपए है। सम्पत्ति का यह आंकड़ा बढ़ भी सकता है। 
 
जायसवाल 25 साल से नौकरी में है और उसका वेतन 25 हजार रुपए है। इस हिसाब से उसके पास 30 से 35 लाख की आय होनी चाहिए थी लेकिन निकली करोड़ों में। 20 दिन के भीतर लोकायुक्त की यह दूसरी बड़ी कार्रवाई थी। इसके पहले खंडवा में पदस्थ फूड इंस्पेक्टर के यहां पर करोड़ों की सम्पत्ति मिली थी। 
 
लोकायुक्त एसपी अरुण कुमार मिश्रा को शिकायत मिली थी कि आबकारी विभाग में कार्यरत रामचंद्र का 780-ए सुदामा नगर में आलीशान बंगला है और उसने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए करोड़ों रुपए की सम्पत्ति अर्जित की है। शिकायत मिलने के बाद डीएसपी जीडी शर्मा, बीएस परिहार और चार टीआई जांच में लगे रहे। 
 
मंगलवार की सुबह 6 बजे जायसवाल के बंगले पर छापा मारा गया था। पहले तो वह दरवाजा ही नहीं खोल रहा था। जब आसपास के काफी लोग वहां एकत्र हो गए और उससे कहा गया कि दरवाजा खोलिए, लोकायुक्त का छापा पड़ा है, तब जाकर उसने दरवाजा खोला। 
 
शुरुआती जांच में पता चला है कि सुदामा नगर में आलीशान बंगले (हर कमरे में एसी और अत्याधुनिक साजोसामान) के अलावा गंगवाल बस स्टैंड के पास मालवा काउंटी होटल है, जिसमें वह 36 फीसदी का भागीदार है, मालीपुरा में मकान, महादेव के नाम से ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ जमीन और मकान के कागजात मिले थे। उसके निवास से नोट गिनने की मशीन भी बरामद की गई थी। 
 
लोकायुक्त छापे में बीमा पॉलिसियां, बैंक लॉकर, 5 लाख रुपए नकद, आठ लाख रुपए मूल्य के जेवरात, राऊ के हेरिटेज गार्डन में 4 हजार वर्गफुट के 2 प्लाट, अहीरखेड़ी में 4 हजार वर्गफुट का प्लाट, तीन कारें स्कोडा, इंडिका, स्कार्पियो, 4 मोटरसाइकलों के अलावा 4 मिनी ट्रक मिले थे। 
 
बताया जाता है कि शराब ठेकेदारों से साठगांठ करके ही उसने करोड़ों की सम्पत्ति अर्जित की है। खरगोन के शराब ठेकेदारों से उसका तालमेल है। इंदौर के 71 अन्नपूर्णा रोड पर उसने एक ऑफिस भी खोल रखा है। 
 
धार जिले के राजोद का रहने वाला रामचंद्र जायसवाल आबकारी विभाग में 1981 में सेल्समैन के रूप में भर्ती हुआ था। जब आबकारी विभाग में यह पद समाप्त कर दिया गया, तब कई सेल्समैन कोर्ट गए, जहां से सभी को 1993 में कांस्टेबल बना दिया गया। कांस्टेबल बनने वालों में में रामचंद्र भी शामिल था। 
 
रामचंद्र के घर से बरामद बैंक खाते, उसके नाम के अलावा परिवार और अन्य आश्रितों के नाम पर हैं। इस आबकारी कांस्टेबल की 3 लड़कियां और एक बेटा है। छापे में इंदौर और उसके आसपास की लगभग 10 शराब की दुकानों में उसके भागीदारी होने के सबूत मिले हैं। 
 
सनद रहे कि 26 फरवरी को इंदौर में 135 देशी-विदेशी शराब की दुकानों के ठेके होने वाले हैं। इसके ठीक पूर्व आबकारी विभाग का ही अदना-सा करोड़पति कांस्टेबल लोकायुक्त के हत्थे चढ़ गया। 

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