why indias billionaires are heading abroad: हाल ही में आई 'हेनले प्राइवेट वेल्थ माइग्रेशन रिपोर्ट' के अनुसार, इस साल भी हजारों करोड़पति (High Net Worth Individuals - HNIs) भारत छोड़ने की तैयारी में हैं। यह कोई नई बात नहीं है, लेकिन यह चलन लगातार बढ़ रहा है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि जो लोग भारत में रहकर दौलत और शोहरत कमाते हैं, वही लोग देश छोड़कर दूसरे मुल्कों में बसना चाहते हैं? इसके पीछे कोई एक नहीं, बल्कि कई बड़े कारण हैं। आइए इन कारणों को विस्तार से समझते हैं।
1. बढ़ती सरकारी सख्ती और टैक्स के नियम
भारत में सबसे अमीर लोगों के लिए टैक्स की दरें दुनिया में सबसे ज्यादा में से एक हैं। ऊंची आय पर लगने वाले भारी-भरकम टैक्स और सरचार्ज कई अमीरों को परेशान करते हैं। उन्हें लगता है कि उनकी कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स में चला जाता है। इसके अलावा, पिछले कुछ सालों में इनकम टैक्स विभाग, प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी सरकारी एजेंसियों की सख्ती काफी बढ़ी है। वित्तीय लेन-देन पर कड़ी नजर रखी जा रही है, जिससे कई बड़े कारोबारियों और अमीर व्यक्तियों को कानूनी पचड़ों में फंसने का डर सताता है। यह "टैक्स टेररिज्म" का डर उन्हें ऐसे देशों की ओर आकर्षित करता है जहाँ टैक्स के नियम ज्यादा सरल और उदार हैं।
2. हाई फाइनेंशियल ट्रैकिंग और फॉर्मल इकोनॉमी का दबाव
सरकार ने अर्थव्यवस्था को फॉर्मल बनाने और काले धन पर रोक लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। पैन-आधार लिंकिंग, GST और डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने से हर छोटा-बड़ा वित्तीय लेन-देन अब सरकार की नजर में है। जहाँ एक ओर यह देश की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है, वहीं दूसरी ओर कुछ अमीर लोगों को अपनी वित्तीय गोपनीयता (Financial Privacy) खत्म होती दिख रही है। बिजनेस के जटिल लेन-देन और वेल्थ मैनेजमेंट इस हाई-ट्रैकिंग माहौल में मुश्किल होता जा रहा है, जिस वजह से वे अधिक वित्तीय स्वतंत्रता वाले देशों का रुख कर रहे हैं।
3. क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स और रोक
भारत में एक नई पीढ़ी के अमीर निवेशक हैं जिन्होंने क्रिप्टोकरेंसी से बड़ी संपत्ति बनाई है। भारत सरकार ने क्रिप्टोकरेंसी से होने वाले मुनाफे पर 30% का भारी टैक्स और हर लेन-देन पर 1% TDS लगा दिया है। यह नियम उन निवेशकों को हतोत्साहित करता है जो क्रिप्टो को भविष्य की संपत्ति के रूप में देखते हैं। इसकी तुलना में, दुबई (UAE) और सिंगापुर जैसे देश क्रिप्टो-फ्रेंडली नीतियां अपना रहे हैं, जो भारतीय क्रिप्टो-करोड़पतियों के लिए एक बड़ा आकर्षण का केंद्र बन गया है।
4. ग्लोबल लाइफस्टाइल और मोबिलिटी की सुविधा
पैसा सब कुछ नहीं होता, और यह बात देश छोड़ रहे अमीरों पर सटीक बैठती है। कई अमीर अपने और अपने परिवार के लिए एक बेहतर जीवन स्तर चाहते हैं। इसमें शामिल हैं:
बेहतरशिक्षा: वे अपने बच्चों को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ स्कूलों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाना चाहते हैं।
स्वच्छ पर्यावरण: भारत के बड़े शहरों में बढ़ते प्रदूषण के मुकाबले वे स्वच्छ हवा और बेहतर माहौल में रहना पसंद करते हैं।
उत्कृष्ट स्वास्थ्य सेवाएं: वे विश्व स्तरीय स्वास्थ्य सुविधाओं तक आसान पहुंच चाहते हैं।
ग्लोबल मोबिलिटी: एक मजबूत पासपोर्ट (जैसे पुर्तगाल या माल्टा) उन्हें दुनिया के कई देशों में बिना वीजा के यात्रा करने और व्यापार करने की सुविधा देता है। भारतीय पासपोर्ट के साथ कई देशों के लिए वीजा लेना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है।
5. इन देशों में रहना पसंद कर रहे हैं भारत के अमीर?
भारत से जाने वाले करोड़पतियों के लिए कुछ देश हॉटस्पॉट बन गए हैं। उनकी पसंद की सूची में शामिल हैं:
दुबई (UAE): यह सबसे पसंदीदा जगह है। इसका मुख्य कारण 'टैक्स-हेवन' होना, विश्व स्तरीय सुविधाएं, सुरक्षा और भारत से निकटता है। यहाँ का 'गोल्डन वीजा' प्रोग्राम भी अमीरों को खूब लुभा रहा है।
ऑस्ट्रेलिया: उच्च जीवन स्तर, शानदार मौसम और बेहतर शिक्षा प्रणाली के कारण ऑस्ट्रेलिया हमेशा से एक पसंदीदा विकल्प रहा है।
सिंगापुर: यह एक प्रमुख वित्तीय केंद्र है। इसकी स्थिर सरकार, बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर और व्यापार-अनुकूल नीतियां इसे अमीरों के लिए आकर्षक बनाती हैं।
पुर्तगाल और ग्रीस: इन यूरोपीय देशों के 'गोल्डन वीजा' प्रोग्राम काफी लोकप्रिय हैं। यहाँ प्रॉपर्टी में निवेश करके, वे न केवल निवास परमिट पाते हैं बल्कि पूरे शेंगेन क्षेत्र (Schengen Area) में मुफ्त पहुंच भी हासिल कर लेते हैं।
अमेरिका: 'लैंड ऑफ अपॉर्चुनिटी' यानी अमेरिका आज भी कई भारतीय अमीरों के लिए सपनों का देश है।
भारत से अमीरों का पलायन एक जटिल मुद्दा है जिसके पीछे पुश फैक्टर (जैसे टैक्स और सख्ती) और पुल फैक्टर (जैसे बेहतर जीवनशैली और अवसर) दोनों काम कर रहे हैं। यह भारत के लिए एक वेल्थ ड्रेन (धन की निकासी) के साथ-साथ ब्रेन ड्रेन (प्रतिभा का पलायन) भी है।