मुंबई में 4 दिन के लिए मांस बिक्री पर प्रतिबंध, छिड़ा विवाद

मंगलवार, 8 सितम्बर 2015 (19:54 IST)
मुंबई। महाराष्ट्र में गोमांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब जैन समुदाय की उपवास अवधि के दौरान मुंबई में चार दिन के लिए मांस की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसे लेकर विवाद छिड़ गया है। भाजपा के अलावा कई अन्य ओर से उठी मांग के बाद यह कदम उठाया गया है। भाजपा की सहयोगी शिवसेना ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे ‘तुष्टीकरण’ और ‘धार्मिक आतंकवाद’ की संज्ञा दी है।
 
बृहन्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) आयुक्त अजय मेहता के आदेश के पहले समीप के ठाणे जिला में एक निकाय संस्था ने इसी तरह का आदेश जारी करते हुए 11-18 सितंबर तक आठ दिनों के लिए मांस बिक्री पर रोक लगा दी थी। इस अवधि में जैन समुदाय उपवास ‘पर्यूषण’ करेंगे।
 
निकाय के फैसले का बचाव करते हुए मुंबई भाजपा इकाई के महासचिव अमरजीत मिश्रा ने आज कहा कि जैन समुदाय की धार्मिक भावनाओं की रक्षा करते हुए प्रतिबंध लागू किया गया और इसे ‘लक्षित फैसले’ के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए।
 
शिवसेना और भाजपा शासित बीएमसी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक चार दिनों- 10, 13, 17 और 18 सितंबर को मांस बिक्री पर प्रतिबंध होगा। मेहता ने फैसले के बारे में भेजे गए संदेश पर जवाब नहीं दिया।
 
हालांकि, निकाय अधिकारियों ने दावा किया कि यह नया फैसला नहीं है और ऐसा कई वर्षों से किया जाता रहा है। साथ ही कहा कि मछली और अन्य समुद्री जीवों की बिक्री पर प्रतिबंध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि केवल जैन समुदाय की ओर से ही नहीं बल्कि कुछ भाजपा पाषर्दों की ओर से उठी मांग के कारण यह फैसला किया गया।
 
निकाय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इन चार दिनों में बीएमसी बूचड़खाना बंद रहेगा और मांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध रहेगा। (बीएमसी के) बाजार विभाग से प्रतिबंध की तामील कराने और यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि किसी भी जानवर को काटा नहीं जाए और शहर में कहीं भी मांस की बिक्री नहीं होनी चाहिए।’
 
निकाय अधिकारियों ने कहा कि अगर प्रतिबंध का उल्लंघन किया गया तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। भाजपा ने इस फैसले को प्रतिबंध की बजाय धर्मनिरपेक्षता की भावना में सभी समुदायों के प्रति सहिष्णुता बरतना बताया। 
 
हालांकि, उसकी सहयोगी शिवसेना ने कहा कि प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता और आरोप लगाया कि भाजपा समाज के कुछ धड़ों के तुष्टीकरण का प्रयास कर रही है। देश के सबसे धनी निगम बीएमसी में भाजपा की सहयोगी शिवसेना बहुमत में है।
 
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने कहा कि आरएसएस विचारधारा को लागू किया जा रहा है। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा, ‘क्या सरकार तय करेगी कि मैं क्या खाऊं, मैं क्या पीयूं, मैं क्या पहनूं, कहां मैं सोऊं, क्या बोलूं..देश भर में जो आप देख रहे हैं यह फासिज्म की काली छाया है।’ 
 
शिवसेना के संजय राउत ने इसकी तुलना ‘धार्मिक आतंकवाद’ से की। उन्होंने कहा, ‘सिख, मुस्लिम, ईसाई और जैन अपने आपको अल्पसंख्यक मानते हैं और हम उनका सम्मान करते है..लेकिन हम क्या खायें इसका हुक्म..’ शिवसेना प्रवक्ता नीलम गोरहे ने कहा, ‘प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता। बीएमसी भाजपा के दबाव में झुक गया है। सरकार को एक धार्मिक समुदाय को खुश करने के लिए कोई फैसला नहीं लेना चाहिए और संविधान के तहत काम करना चाहिए।’ 
 
आदेश का विरोध करते हुए कुरैशी समुदाय ने कहा कि अगर मांस पर प्रतिबंध रहता है तो उनके कारोबार को इससे भारी नुकसान होगा और इसकी समीक्षा के लिए वे मेयर के पास जाएंगे। 
 
उन्होंने कहा ‘अगर हमें इंसाफ नहीं मिला तो हम उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर करेंगे और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करेंगे तथा अनशन करेंगे।’ महाराष्ट्र सरकार ने इस साल मार्च में राज्य में गोमांस पर प्रतिबंध लगाया था। (भाषा)

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