6 जून को नक्सलियों ने इससे पहले सरेंडर कर चुके अपने ही साथी का बीजापुर से अपहरण कर लिया था। 3 दिन बाद वह किसी तरह उन्हें चकमा देकर भाग निकला और 5 दिन बाद सुकमा के जगरगुंडा थाने पहुंचकर घटना की जानकारी दी थी। उसने पुलिस को जानकारी दी थी कि अगवा करने के बाद उसे मंडीमरका गांव में रखा गया था। उसने यह भी बताया था कि नक्सली उसे मौत की सजा देने की बात कह रहे थे।