नीतीश कुमार को आई अटलजी की याद, 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर BJP को दी सलाह

बुधवार, 10 अगस्त 2022 (17:17 IST)
पटना। Bihar News : बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने शपथ ग्रहण करने के बाद बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को 2024 के लोकसभा चुनाव के बारे में चिंता करनी चाहिए। नीतीश कुमार (71) ने आज 8वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। उनके साथ राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी प्रसाद (Tejashwi Yadav) यादव ने भी शपथ ली जो नई सरकार में उपमुख्यमंत्री होंगे।
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शपथ ग्रहण के बाद नीतीश ने पत्रकारों से कहा कि बातचीत में भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा उनकी तरफ से जदयू को हराने की कोशिश हुई। हम तो मुख्यमंत्री बनना भी नहीं चाहते थे। दबाव बनाया गया...क्या-क्या हुआ वो आप लोग देख रहे थे।
 
यह पूछे जाने पर कि क्या वे अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे तो उन्होंने कहा कि मेरी कोई दावेदारी नहीं है। इस प्रश्न पर कि क्या वे देश में अब विपक्ष की राजनीति को मजबूत करेंगे, नीतीश ने कहा कि पूरे तौर पर करेंगे। एक बार पहले भी किया था। हम चाहेंगे कि सभी लोग मिलकर पूरी तरह से मजबूत हों... कुछ लोगों को लगता है कि विपक्ष खत्म हो जाएगा तो हमलोग भी अब आ ही गए हैं विपक्ष में। उन्होंने कहा कि जिनको 2014 में (जीत) मिली, अब उन्हें 2024 के बारे में चिंता करनी चाहिए।
 
मुख्यमंत्री ने भाजपा निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग 2014 में आए, वे 2024 के आगे रह पाएंगे या नहीं ? यह पूछे जाने पर कि अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी में क्या अंतर है, उन्होंने कहा, कि श्रद्धेय अटलजी और उस समय के अन्य लोग कितना प्रेम करते थे, वह कभी हम भूल सकते हैं क्या? उस समय की बात अलग थी।
 
अपने पूर्व सहयोगी आरसीपी सिंह का नाम लिए बगैर पर उन पर निशाना साधते हुए नीतीश ने कहा कि  एक आदमी को जिम्मा दे दिए। उस आदमी से पूछिए। वह पार्टी के साथ रहने की बजाय कहीं और चले गए।
 
 
जनाधार का फायदा भाजपा को : बिहार की सत्ता गंवाने से भले ही 2024 लोकसभा चुनाव के दृष्टिकोण से भाजपा का समीकरण बिगड़ता दिख रहा हो, लेकिन पार्टी के नेताओं के एक वर्ग का मानना है कि यह उसके लिए इस राज्य में क्षेत्रीय दलों के प्रभुत्व को समाप्त करने का एक अवसर है, जैसा कि उत्तरप्रदेश में उसने कर दिखाया है।
 
बिहार भाजपा के नेताओं का एक वर्ग जद (यू) के साथ गठबंधन जारी रखने के पक्ष में नहीं था लेकिन पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना रहा है कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में उसकी (जदयू) मौजूदगी से उसकी 2024 की राह आसान हो जाएगी क्योंकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 40 में से 39 सीटों पर राजग ने कब्जा जमाया था।
 
अगले चुनावों में राज्य में भाजपा का मुकाबला महागठबंधन से होना तय है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जद (यू) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के महागठबंधन ने भाजपा को पूरी तरह धूल चटा दी थी। सेंटर फॉर स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज’ के प्रोफेसर संजय कुमार ने भाजपा से जद(यू) के अलग होने पर कहा कि यह स्पष्ट संकेत है कि सहयोगी दल भाजपा के साथ सहज नहीं हैं और एक-एक कर उससे अलग होते जा रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि लेकिन साथ ही इससे भाजपा को एक अवसर भी मिलता है कि जिस राज्य की क्षेत्रीय पार्टी ने उसका साथ छोड़ा है, वहां वह अपनी स्थिति मजबूत कर सके। उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से भाजपा को राज्य में अपने विस्तार का मौका मिल जाएगा। लेकिन मैं यह नहीं बता सकता कि 2024 में वे कितने सफल होंगे।
 
भाजपा के कई नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने पिछड़े और दलित मतदाताओं के बीच पिछले कुछ सालों में कई राज्यों में खासी पकड़ बनाई है और वह अकेले दम पर अपने प्रदर्शन का दोहरा सकती है।
 
उन्होंने कहा कि अति पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं में जद(यू) का जनाधार माना जाता है लेकिन 2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनावों में दलितों के साथ ही उन्होंने भी बड़ी संख्या में भाजपा को वोट दिया था।
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पार्टी के एक नेता ने कहा कि भाजपा राष्ट्रीय स्तर पर आज सबसे अधिक मजबूत है और यह सही अवसर है कि वह बिहार में क्षेत्रीय दलों के प्रभुत्व को समाप्त करे। ठीक उसी तरह जैसे उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के प्रभुत्व को समाप्त किया गया।

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