रोते हुए सीएम बने थे पनीरसेल्वम, हंसते हुए पद छोड़ा...

शुक्रवार, 22 मई 2015 (10:38 IST)
चेन्नई। जयललिता के अन्नाद्रमुक के विधायक दल का नेता चुने जाने के तुरंत बाद, उनके विश्वसनीय ओ. पनीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे की घोषणा कर दी जिससे उनकी करीब आठ महीने तक चली पारी समाप्त हो गई है। पिछले वर्ष शपथ ग्रहण समारोह में दुखी नजर आने वाले पनीरसेल्वम और अन्नाद्रमुक के अन्य विधायक आज जयललिता के अगला मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ होने से बहुत जोश में नजर आए।

उन्होंने जयललिता को पार्टी के विधायक दल का नेता चुनने के लिए बुलाई गई बैठक में पार्टी विधायकों से कहा, 'मैंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है।' उनके इस्तीफा देने से जयललिता के फिर से मुख्यमंत्री बनने का रास्ता साफ हो गया है।

कर्नाटक की एक निचली अदालत द्वारा भ्रष्टाचार के एक मामले में जयललिता को दोषी ठहराए जाने पर उनके द्वारा मुख्यमंत्री पद छोड़ने के दो दिन बाद पनीरसेल्वम ने पिछले साल 29 सितंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। दोषी ठहराए जाने पर वह 10 वर्ष के लिए विधानसभा का सदस्य बनने और चुनाव लड़ने के लिए स्वत: ही अयोग्य हो गई थीं।

पनीरसेल्वम पिछले साल दूसरी बार मुख्यमंत्री बने थे। इससे पहले वर्ष 2001 में लगभग इसी तरह की परिस्थितियों में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया गया था जब एक अन्य मामले में दोषी ठहराये जाने पर जयललिता को इस्तीफा देना पड़ा था।

शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें बरी करने के बाद पनीरसेल्वम ने छह महीने बाद वर्ष 2002 में इस्तीफा दे दिया था।

पनीरसेल्वम (63) प्रभावशाली मुदुकुलाथोर समुदाय से आते हैं और अपने गृह जिले पेरियाकुलम में चाय की दुकान चलाने वाले साधारण परिवार से निकलकर वह यहां तक पहुंचे हैं। उनका परिवार अब भी यह दुकान चलाता है।

विधायक बनने के बाद वर्ष 2001 में पहली बार मंत्री बने पनीरसेल्वम को जयललिता ने अहम राजस्व विभाग सौंपकर अपना भरोसा जताया था।

वर्ष 2011 में जयललिता ने अपना भरोसा और बढ़ाते हुए उन्हें वित्त एवं पीडब्ल्यूडी जैसे अहम विभाग सौंपे। (भाषा)

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