वड़ोदरा। पारूल विश्वविद्यालय के तहत डिपार्टमेंट ऑफ इकॉनोमिक्स की ओर से विगत दिनों 'एम्पलॉयमेंट और एंटरप्रेन्योर' विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार के मुख्य अतिथि एक्वाप्रुफ ग्रुप, मुंबई के मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. बजरंग लाल माहेश्वरी ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
डॉ. माहेश्वरी ने कहा कि आज के जमाने में ग्रेजुएशन की इतनी वेल्यू नहीं है। वर्तमान में कोरोना वायरस ने सभी प्रकार से परिवर्तन ला दिया है। बिजनेस एवं व्यापार दोनों ही करने के लिए उच्च शिक्षा जरूरी है। सीए, एमबीए, डॉक्टर, इंजीनियर एवं एवं आर्किटेक्चर सहित किसी भी प्रकार की प्रोफेशनल शिक्षा ली जा सकती है।
उन्होंने सरकारी एवं प्राइवेट नौकरी करने, उनके सकरात्मक एवं नकारात्मक पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. माहेष्वरी ने कहा कि इच्छा, उद्देश्य, कड़ी मेहनत, लक्ष्य और ईमानदारी व्यक्ति को आगे बढ़ाती है। नौकरी पर हमेशा फोकस करें।
फेकल्टी ऑफ आर्टस, प्रिंसिपल पारूल इंस्टीट्यूट ऑफ आर्टस एवं प्रोफेसर जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेषन, प्रो. डॉ. रमेश कुमार रावत ने वेबिनार के आरंभ में डॉ. बजरंग लाल माहेश्वरी का स्वागत उद्बोधन के माध्यम से स्वागत किया एवं अंत में आभार जताया। वेबिनार में सैकड़ों विद्यार्थियों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं पत्रकारों ने भाग लिया।
पैरासाइकोलॉजी पर वेबिनार : इसी तरह पारूल विवि के डिपार्टमेंट ऑफ साईक्लॉजी की आरे से विगत दिनों पैरासाइकोलॉजी सम प्रोसपैक्टिव विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबीनार के मुख्य अतिथि, इनडिपेंडेंट पेरा साइकोलॉजिकल रिसर्चर नरेश कुमार ने फेकल्टी सदस्यों, विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों को संबोधित किया।
कुमार ने पैरासाइकोलॉजी को समझाते हुए पैरानार्मल इंसिडेंट के बारे में जानकारी दी। इससे पहले पैरा साइकोलॉजी के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने टेलीपैथी, रिमोट व्यूविंग, प्रिकोजिनेशन एवं प्रिमोशन, साइकोकीनिज, आउट ऑफ बॉडी एक्सपिरियंस- ओबीई, ऑफ्टर डेथ कम्युनिेशन, यूएस में स्प्रीच्युअल मूवमेंट्स, जेम्स थ्योरी, सर्वाइवल ऑफटर डेथ, सुपर पीएसआई थ्योरी, रेडिकल सरवीवलिज्म थ्योरी, इनर्जी सरवाइवल थ्योरी, मेटा एनालिसिस के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने पैरा साइकोलॉजी के शोध से फायदों के बारे में चर्चा की एवं इसे स्टार गेट ऑपरेशन में उपयोगिता सहित अनेक फायदों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने वैश्विक स्तर पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में में पैरासाइकोलॉजी के पाठ्यक्रमों के बारे में भी जानकारी दी। स्वागत भाषण एवं आभार प्रदर्शन डॉ. रमेश रावत ने किया।