यह घटना तब सामने आई थी, जब जेबकतरी के मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस ने उनके माथे को दुपट्टे ढंककर उन्हें अदालत में पेश किया। एक महिला ने अपने माथे पर गुदे शब्दों को अदालत को दिखा दिया और मामला सुर्खियों में आ गया। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी घटना का गंभीर संज्ञान लिया।
पीड़िताओं ने वर्ष 1994 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर कर प्रतिवादियों, पंजाब सरकार, अमृतसर पुलिस अधीक्षक और अन्य को गुदे हुए शब्दों को हटाने के लिए प्लास्टिक सर्जरी कराने का प्रबंध करने, अमानवीय कृत्य और अपमान के लिए मुआवजा देने तथा दोषी पुलिस वालों पर कार्रवाई के लिए निर्देश देने की मांग की थी। (भाषा)