जम्मू। करीब साढ़े सात महीनों के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर लगाए गए जन सुरक्षा अधिनियम को तत्काल हटाने का निर्देश देते हुए उनकी रिहाई का रास्ता साफ कर दिया है। इसके साथ ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की रिहाई की भी तैयारी की कवायद आरंभ हो गई है।
वे जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से नजरबंद थे। बाद में उन पर पीएसए भी लगा दिया गया था जिसे अब हटाया जाएगा। उमर की रिहाई का आदेश आज ही आया है और कागजी कार्रवाई में समय लगने के कारण उन्हें रिहा होने में वक्त लगेगा। हालांकि उनकी रिहाई तब से ही तय मानी जा रही थी, जबसे उनके पिता फारुक अब्दुल्ला रिहा हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की रिहाई पर केंद्र व जम्मू-कश्मीर प्रशासन से जवाब-तलब किए जाने के बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) उपाध्यक्ष की रिहाई तय मानी जा रही थी। वे लगभग 7 महीने से नजरबंद हैं।
5 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। कुछ दिनों में एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया था। यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी।
प्रशासन की ओर से जारी आदेश में कहा गया था कि जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट 1978 की धारा 19 (1) के तहत मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी किए गए नजरबंदी के आदेश को सरकार ने तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया था। इससे पहले फारुक अब्दुल्ला की नजरबंदी को 3-3 महीने की अतिरिक्त अवधि के लिए बढ़ा दिया गया था।
कुछ दिनों पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और लोकसभा सांसद फारुक अब्दुल्ला की नजरबंदी खत्म हुई थी। फारुक अब्दुल्ला ने नजरबंदी खत्म होने के बाद अपने घर पर लोगों को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि मैं जनता और उन नेताओं का बहुत शुक्रिया करता हूं जिन्होंने हमारी आजादी के लिए आवाज उठाई, मैं आजाद हुआ। मैं आजाद हुआ, लेकिन मेरी आजादी तब पूरी होगी, जब उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत सभी नेताओं की रिहाई होगी। मुझको उम्मीद है कि सभी नेताओं की रिहाई जल्द होगी।
जानकारी हो कि पूर्व मुख्यमंत्री नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुक अब्दुल्ला, आईएएस से राजनेता बने शाह फैसल, पूर्व मुख्यमंत्रियों उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता अली मोहम्मद सागर और पीडीपी नेता सरताज मदनी पर पीएसए लगाया गया था।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद यानी 5 अगस्त को उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया गया था। कुछ दिनों में एक बॉन्ड पर सिग्नेचर कराकर कई नेताओं को रिहा किया गया था। यह बॉन्ड 370 के खिलाफ प्रदर्शन न करने की गारंटी थी।
हालांकि सरकार के बॉन्ड पर सिग्नेचर करने से फारुक, उमर, महबूबा समेत 6 नेताओं ने मना कर दिया था। इसके बाद इन पर पीएसए लगाया गया था। इसके साथ ही उमर और महबूबा को उनके घर पर शिफ्ट करके नजरबंद कर दिया गया था।