इस साल की 10वीं बोर्ड परीक्षा में पंजाब के सरकारी स्कूलों में 80,000 हजार से ज्यादा विद्यार्थी इंग्लिश में फेल हो गए। इस खबर के बाद राज्य में खलबली मच गई और राज्य में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे।
दरअसल चीमा को जब पता चला कि असल खोट तो राज्य के अंग्रेजी शिक्षकों में है, तो वे चकित रह गए। चीमा ने राज्य के 220 अंग्रेजी शिक्षकों का टेस्ट लेने के लिए कहा, लेकिन जब उनका टेस्ट लिया गया तो उनमें से कोई भी शिक्षक अंग्रेजी का एक भी वाक्य सही-सही नहीं लिख पाया।
बाद में शिक्षा मंत्री चीमा ने शिक्षकों को अंग्रेजी में बोलने के लिए कहा, लेकिन यहां भी परिणाम जस का तस रहा। हालांकि यह किसी से छुपा नहीं है कि भारत के सरकारी स्कूलों में इंग्लिश एजुकेशन का स्तर बहुत खराब है। लेकिन जब शिक्षक ही इसमें इतने पीछे हैं तो कोई और कैसे इस समस्या से राज्य को निजात दिला सकता है।