राधारानी का जन्म भारतीय मास भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के ठीक एक पखवाड़े बाद आता है। बरसाना में ब्रह्मांचल पर्वत पर विराज रहीं राधारानी के मंदिर में जन्मोत्सव का कार्यक्रम रात करीब 2 बजे से ही प्रारंभ हो गया।
सेवायत मधुमंगल गोस्वामी एवं राहुल गोस्वामी के अनुसार सुबह 4 बजे से दूध, दही, शहद, बूरा, इत्र, घी, गुलाब जल, यमुना जल, गौघृत, पंच मेवा, पंच नवरत्न, केसर आदि से राधारानी के श्रीविग्रह का अभिषेक कराया गया। अभिषेक करीब 1.30 घंटे तक चला।
सुबह 9 बजे बरसाना और नंदगांव के गोस्वामी समाज द्वारा समाज गायन में बधाइयां गाई गईं। शाम 5.30 बजे राधारानी ने मंदिर प्रांगण में बनी सफेद छतरी एवं डोले में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। इसी प्रकार बलदेव मार्ग पर स्थित रावलगांव में भी सोमवार को राधा जन्म उत्सवपूर्वक मनाया गया। राधारानी की जन्मस्थली मानी जानी वाले गांव में सुबह 4.30 बजे मंगला आरती के साथ राधा जन्मोत्सव प्रारंभ हुआ।
मंदिर के सेवायत पुजारी ललित मोहन कल्ला ने बताया कि 5 बजे से श्रद्धालुओं को जन्मोत्सव के दर्शन कराए गए। लाडली संग उनके प्रियतम कृष्ण का भी 125 किलो दूध, दही, घी, बूरा, गुलाब जल, गंगा व यमुना जल और शहद से अभिषेक किया गया। 5.30 बजे से प्रारंभ हुआ अभिषेक कार्यक्रम 1 घंटे तक चला।
इसी प्रकार वृंदावन के राधावल्लभ लाल, बांकेबिहारी, गोपीनाथ, इस्कॉन के श्रीकृष्ण-बलराम, निधिवन, सेवाकुंज आदि मंदिरों में भी राधारानी का जन्मदिवस पूर्ण श्रद्धा, भक्ति और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर राधावल्लभ, बांकेबिहारी एवं गोपीनाथ मंदिर से परंपरागत चाव (शोभायात्रा) निकाली गईं। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान, पोतराकुंड के केशवदेव मंदिर, गौड़ीय मठ आदि में भी राधाष्टमी धूमधाम से मनाई गई। (भाषा)