देहरादून। देश में जहां आगामी 26 फरवरी को रेल बजट पर पूरे देश की निगाहें हैं, वहीं उत्तराखण्ड में भी रेल बजट को लेकर उम्मीदें परवान चढ़ी हुई हैं। राज्य से मोदी सरकार को पांच लोकसभा सांसद मिलने से यह उम्मीदें कई गुना बढ़ी हैं। इस कारण लोग रेल बजट पर टकटकी लगाए हुए हैं। उत्तराखण्ड में कई सामरिक महत्व की परियोजनएं तो रेल बजट में पूरी होने का इंतजार कर रही हैं।
देश के विभिन्न कोनों से पर्यटन महत्व के इस प्रदेश के लिए नई रेल सेवा चलाने का भी इंतजार यहां शिद्दत से हो रहा है। बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि उत्तराखण्ड के रूड़की स्थित रेल स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व होने के बावजूद यह उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
रूड़की रेलवे स्टेशन इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि देश की पहली रेल मालगाड़ी यहां से ही पीरान कलियर तक पहली बार चलाई गई थी। देश में मुम्बई से थाणे के बीच 1853 में जहां पहली बार पैसेन्जर ट्रेन चली, उससे दो वर्ष पूर्व ही रुड़की से पिरान कलियर के बीच देश में पहली बार 22 दिसम्बर 1851 को रेल चल चुकी थी।
अन्तर इतना था कि मुम्बई से थाणे के बीच चलने वाली रेल पैसेन्जर लेकर चली थी जबकि रूड़की से पिरान कलियर के बीच चली इस रेल का उपयोग गंग नहर निर्माण के दौरान मिट्टी की ढुलाई के लिए किया गया था।
इस रेल की रफ्तार चार मील प्रति घंटा थी। इस ऐतिहासिक घटना के कारण ही रेलवे बोर्ड ने रुड़की रेलवे स्टेशन को ए श्रेणी का स्टेशन को घोषित कर दिया लेकिन मूलभूत सुविधाओं के प्रति रेल विभाग लापरवाह ही रहा। रेलवे स्टेशन भी मात्र तीन रेलवे प्लेटफार्म तक सिमटा हुआ है।
प्लेटफार्मों पर रेलवे कोच ठहराव के संकेत सूचक भी नहीं लगाए गए है। इस कारण यात्रियों को अपने कोच के ठहराव की जानकारी नही हो पाती और रेल के कम समय के ठहराव में यात्रियों के लिए अपने कोच तक पहुंचना तक मुश्किल हो जाता है। जिसके चलते कई यात्रियों की अभी तक मौते भी हो चुकी है।
वही रेलवे स्टेशन पर सफाई व्यवस्था भी संतोशजनक नही है। रेलवे लाईनों पर जहां गंदगी का साम्राज्य है, वहीं प्लेटफार्मों पर भी गंदगी पसरी रहती है। रेलवे स्टेशन और उसके बाहर पार्किंग स्थल पर आपराधिक तत्व सक्रिय है, जो यात्रियों की जेबों पर हाथ साफ करने के साथ ही यात्रियों को सामान चुराने और स्टेशन के बाहर मोटर साइकिल एवं कार की चोरी की घटनों को अजांम देने में लगे रहते है।
रेलवे स्टेशन की आरक्षण की खिड़की पर जहां दलालों को बोलबाला है, वहीं रेल विभाग द्वारा खुलवाई गई प्राईवेट टिकट ब्रिकी केंद्रो पर यात्रियों से मनमानी वसूली की जा रही है जिस कारण रेलवे की साख को बट्टा लग रहा है। यात्रियों की मांग है कि देश के इस पहले रेलवे स्टेशन पर सभी एक्सप्रेस, सुपर फास्ट रेलों का ठहराव किया जाए।
साथ ही यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे आरक्षण व साधारण टिकटों की खिड़की संख्या बढाई जाए। इस रेलवे स्टेशन के सौन्दर्यकरण के नाम पर पहला लोकोमेटिंव इंजन का मॉडल स्टेशन के बाहर शो-पीस बनाकर रखा गया है। रेलवे ने इस इंजन को सप्ताह में एक बार चलाए जाने की आदेश दिए थे, लेकिन ये आदेश रद्दी की टोकरी में चले गए।
स्थानीय लोगो की मांग है कि रुड़की रेलवे स्टेशन से पिरान कलियर तक पुरातन रेल लाईन को फिर से जीवित किया जाए ताकि इतिहास की देश में पहली बार यहां से रेल चलने की स्वर्णिम घटना से पर्यटक प्रभावित हो सकें।