मानसून से पहले बारिश से उत्तराखंड में दहशत

रविवार, 26 जून 2016 (12:55 IST)
देहरादून। उत्तराखंड में मानसून से पहले की भारी बारिश से इतनी तबाही हुई कि अभी तक सड़क मार्ग बाधित हैं और कई इलाकों में हुए नुकसान से लोगों में दहशत का माहौल है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भी इसी बारिश के कारण अपनी केदारनाथ यात्रा रास्ते में ही स्थगित करके लौटने को विवश होना पड़ा था। 
 
राज्य में मानसून पूर्व की पहली बारिश पिछले सप्ताह की शुरुआत में 2-3 दिन तक हुई जिससे विभिन्न इलाकों में भूस्खलन के कारण कई सड़क मार्ग और पुल ध्वस्त हो गए। 
 
इस बारिश के कारण चमोली जिले के घाट क्षेत्र में ही 18 सड़क मार्गों के बाधित होने की खबर है। नदी-नालों में भारी बारिश के कारण उफान आ गया और कई गांवों और खेतों को जोड़ने वाले अनेक पुल इनकी भेंट चढ़ गए।
 
केदारनाथ क्षेत्र में जबरदस्त बारिश हुई है जिसके कारण सोनप्रयाग में हेलीपैड ध्वस्त हो गया और केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग अवरुद्ध हो गया। राष्ट्रपति को केदारनाथ की यात्रा करनी थी और इसके लिए वे देहरादून से रुद्रप्रयाग जिले के गोचर भी पहुंच गए थे, लेकिन मौसम का मिजाज खराब रहने और क्षेत्र में हुई भारी बारिश के कारण उन्हें भगवान केदारनाथ के दर्शन किए बिना ही वापस लौटना पड़ा। 
 
गोचर में उन्होंने 2 घंटे से ज्यादा समय तक मौसम के ठीक होने का इंतजार भी किया गया लेकिन मौसम में सुधार नहीं हुआ। अब तक पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी ने ही राष्ट्रपति के रूप में भगवान केदारनाथ के दर्शन किए हैं।
 
मानसून की पहली बारिश ने जहां केदारनाथ धाम के लिए पैदल और हवाई मार्ग अवरुद्ध कर दिया, वहीं बद्रीनाथ मार्ग भी भूस्खलन के कारण करीब 12 घंटे तक बाधित रहा। बद्रीनाथ मार्ग पर लामबगड़ में कई मीटर तक सड़क भूस्खलन के कारण तबाह हो गई। मार्ग के दोनों तरफ हजारों यात्री फंसे रहे। इस दौरान पहाड़ से कई जगह पत्थर भी गिरने की भी घटनाएं हुईं।
 
इस बारिश से केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम ही नहीं, बल्कि यमुनोत्री और गंगोत्री मार्ग भी कई घंटे तक बाधित रहे। दिल्ली-यमुनोत्री राजमार्ग पर जमना पुल के पास सड़क पर भारी मलबा आ गया। गंगोत्री मार्ग में भी कई जगह भूस्खलन के कारण सड़क मार्ग बाधित रहा। हेंवल और सौंग नदी में तेज बारिश के कारण आई बाढ़ से क्षेत्र के 50 से ज्यादा गांव प्रभावित हुए हैं।
 
पिछले माह के आखिर में भी राज्य के टिहरी जिले के घनसाली क्षेत्र में बादल फटने की घटना हुई जिसमें कई घरों में पानी घुस गया। इस तबाही में कई पशुओं की जान चली गई और खेत- खलिहान बह गए। इससे बूढ़ा केदार क्षेत्र को जाने वाले सभी रास्ते बाधित हो गए। बादल फटने की घटनाएं बरसात के दिनों पहाड़ पर आम होती जा रही हैं। 3 साल पहले केदारनाथ में आई आपदा की वजह भी बादल फटना बताया गया है।
 
हालांकि राज्य सरकार का आपदा प्रबंधन विभाग मुस्तैदी से स्थिति का सामना करने की तैयारी में है। आपदा सचिव अमित सिंह नेगी ने सभी जिला अधिकारियों को आपदा प्रबंधन की स्थिति और संवेदनशील स्थानों को चिन्हित करके सूची भेजने को कहा है। 
 
केंद्रीय जल आयोग ने टिहरी जल विद्युत निगम (टीएचडीसी) को मानसून के दौरान नदियों के जलस्तर की रिपोर्ट हर दिन देने को कहा है। राज्यपाल केके पॉल ने भी भूस्खलन और बाढ़ के लिहाज से संवेदनशील स्थानों के प्रति अधिकारियों को सचेत रहने के लिए कहा है। (वार्ता) 
 

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