उन्होंने बताया कि उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही 24 मई 2018 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में प्रदेश सरकार द्वारा चिन्मयानंद पर चल रहा बलात्कार का मुकदमा वापस लेने का प्रार्थना पत्र भेजा गया जिस पर पीड़िता ने आपत्ति दाखिल की। उसकी आपत्ति को देखते हुए अदालत ने मुकदमा वापस लेने का प्रार्थना-पत्र खारिज कर दिया था और जमानती वारंट जारी कर दिया गया था।