बेवार के सरकारी अमृत कौर अस्पताल के मामले में आयोग ने पाया कि 11 जनवरी 2012 को दवा रिएक्शन करने के कारण जानकी देवी की मौत हो गई थी और उसे सुरक्षित फ्रीजर में नहीं रखा गया और पोस्टमार्टम टेबल पर छोड़ दिया गया, जिसके बाद चूहा ने उनके दाहिने कान और बायीं आंख को काट खाया। अस्पताल के एक कर्मचारी को सेवा में खामी के कारण बख्रास्त कर दिया गया जबकि अन्य के खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई की गई।
आयोग की तरफ से जारी बयान में बताया गया, ‘मानवाधिकार आयोग के न्यायमूर्ति डी. मुरूगसेन ने महिला के शरीर की गरिमा का गंभीर उल्लंघन माना और साथ ही इसे उनके रिश्तेदारों के मानवाधिकारों का उल्लंघन माना। उन्होंने मृतक के परिजन को एक लाख रूपये का मुआवजा देने की अनुशंसा की।’
दूसरे मामले में 10 जनवरी 2012 की रात मथुरा दास माथुर सरकारी अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में 70 वर्षीय रोगी के चेहरे को चूहे ने बुरी तरह काट लिया, जिससे उनका काफी खून बह गया। मृतक की पत्नी शाहजहां को मानवाधिकार आयोग की अनुशंसा पर राज्य सरकार ने 50 हजार रुपए का मुआवजा दिया। (भाषा)