सीकर। विजयदशमी पर पूरे देश में बुराई के प्रतीक रावण के पुतले का वध अलग अलग ढंग से किया जाता है, लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के बाय में रावण का पुतला नहीं बनाया जाता है, बल्कि रावण बने व्यक्ति का काल्पनिक वध किया जाता है
इससे पहले गांव के सीनियर स्कूल के मैदान में दोनों सेना आमने-सामने होती है। यहां दोनों सेनाओं के बीच काल्पनिक युद्ध होता है जिसमे रावण को मार दिया जाता है। रावण की मृत्यृ के बाद शोभायात्रा निकालकर विजय का जश्न मनाया जाता है। शोभायात्रा भगवान लक्ष्मीनाथ मंदिर पहुंच कर सम्पन होती है। यहां भगवान की आरती की जाती है और नाच-गाकर उत्सव मनाया जाता है।
आयोजन समिति के मंत्री नवरंग सहाय भारतीय बताते हैं कि मेले में करीब 50 हजार से ज्यादा लोग शामिल होते हैं। मंदिर के पुजारी रामावतार पाराशर के अनुसार, मेले की शुरुआत करीब 162 साल पहले हुई थी। अंग्रेजों ने गांव वालों पर कर लगा दिया था।
इसके विरोध में गांववासी एकजुट हो गए ओर अनशन-आंदोलन शुरू कर दिया। गांव वालों के अनशन के आगे अंग्रेजों को झुकना पड़ा और कर को हटाया गया। इस आंदोलन में जीत के उपलक्ष्य में विजयादशमी मेला शुरू किया गया जो अनवरत जारी है। उन्होंने बताया कि काल्पनिक युद्ध में करीब दो सौ लोग शामिल होते हैं। इसमें सभी जाति-धर्म के लोग खुले दिल से सहयोग करते हैं।