इससे पहले मुंगेर में आठ महादलितों ने ईसाई धर्म कबूल कर लिया था। ईसाई बनने वाले नरेन्द्र मांझी, सुनील मांझी, प्रशांत मांझी का कहना था कि शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सम्मान की सुविधा को देखते हुए उन लोगों ने ईसाई धर्म अपनाया।
वहीं, पादरी सुखलाल सोरेन का कहना था कि यह धर्म परिवर्तन नहीं, बल्कि प्रभु ईशु के प्रति लोगों की आस्था है। धर्म परिवर्तन कराना उनका उद्देश्य नहीं है। गांव, समाज की खुशहाली उनका मकसद है। जो लोग उनसे प्रभावित होते हैं, उन्हें वे सहयोग देते हैं। (news18.com से)