उन्होनें बताया कि 21 नवंबर से शुरू हो रहे दो दिवसीय शनि मेले में शनिश्चरी अमावस्या के दिन विभिन्न प्रातों और विदेशों से भारी संख्या में श्रद्धालु यहां आते है। शनिदेव की पूजा में सरसों का तेल चढ़ाने का खास महत्व है। इस बार मुख्य प्रतिमा का क्षरण रोकने के लिए तेल की शुद्धता पर खासा जोर दिया गया है।