स्थानीय निवासियों ने सोशल मीडिया पर संदेशों के जरिए पर्यटकों से शिमला नहीं आने को कहा है। एक व्यक्ति ने अपने पोस्ट में लिखा, 'हमारे लिए पानी नहीं है। कृपया यहां नहीं आएं, किसी और गंतव्य को चुनें। शिमला नगर निगम क्षेत्र की आबादी तकरीबन 1.72 लाख है, लेकिन गर्मियों में पर्यटन के प्रमुख मौसम में यहां लोगों की संख्या 90 हजार से एक लाख तक और बढ़ जाती है।
इस मौसम में पानी की जरूरत बढ़कर रोजाना साढ़े चार करोड़ लीटर (एमएलडी) हो जाती है। 78 वर्षीय भैरव दत्त ने अपने पोस्ट में लिखा, 'सरकार को पर्यटकों को परामर्श जारी करके उनसे कहना चाहिए कि वे तब तक शिमला नहीं आएं, जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं होता, क्योंकि इससे जल की कमी से जूझ रहे निवासियों को और असुविधा होगी।
अदालत ने शहर में जल संकट मामले में मंगलवार को हस्तक्षेप करने का फैसला किया था। अदालत ने कठोर प्रतिबंध लगाए। किसी भी टैंकर को वीआईपी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को पानी की आपूर्ति की अनुमति नहीं होगी। अदालत ने स्पष्ट किया कि इन वीआईपी लोगों में न्यायाधीश, मंत्री, नौकरशाह, पुलिस अधिकारी और वाणिज्यिक प्रतिष्ठान शामिल हैं। इस निर्देश के दायरे से सिर्फ राज्यपाल और मुख्यमंत्री को बाहर रखा गया है।