मुंबई। विपक्षी कांग्रेस और राकांपा ने 2019 का लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की शिवसेना की घोषणा का मंगलवार को मजाक उड़ाया और सवाल किया कि क्यों वह अब भी भाजपा की अगुवाई वाली सरकार का हिस्सा बनी हुई है। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने शिवसेना के निर्णय को ‘हास्यास्पद’ और ‘अतार्किक’ बताया।
उन्होंने कहा, शिवसेना सरकार की एक सहयोगी बनी हुई है और इसकी नीतियों की आलोचना कर रही है। पार्टी ने सरकार से बाहर होने की घोषणा का शतक पूरा कर लिया है, लेकिन अब तक ऐसा नहीं किया है। लोग शिवसेना को गंभीरता से नहीं लेते हैं।
राकांपा के प्रवक्ता नवाब मलिक ने शिवसेना से भाजपा की अगुवाई वाली राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने और मध्यावधि चुनाव कराने की मांग की। उन्होंने कहा, हम चुनाव के लिए तैयार हैं। मलिक ने आरोप लगाया कि अपनी पार्टी में तोड़फोड़ का भय शिवसेना को सरकार से बाहर निकालने से रोक रहा है।
शिवसेना ने उद्धव ठाकरे को पार्टी अध्यक्ष के रूप में पुनर्निर्वाचित करने और संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया पूरी करने के लिए आयोजित एक बैठक में 2019 का चुनाव अकेले लड़ने का निर्णय लिया। शिवसेना के महाराष्ट्र विधानसभा में 63 विधायक हैं, जबकि उसके 18 सांसद हैं। वह केंद्र और राज्य में भाजपा की सहयोगी है। (भाषा)