सुनील जोशी हत्याकांड में आतंकियों का हाथ नहीं

रविवार, 5 जुलाई 2015 (15:16 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने जिस सुनील जोशी हत्याकांड को सभी हिन्दू दक्षिणपंथी आतंकवादी घटनाओं के लिए अहम कड़ी होने का दावा करते हुए उसकी जांच अपने हाथों लेने के लिए कई महीनों तक मशक्कत की थी, उस कांड की सुनवाई चुपचाप मध्यप्रदेश में वापस स्थानांतरित कर दी गई है, क्योंकि एनआईए ने ही उसमें आतंकवाद संबंधी कोई सबूत नहीं की बात कही।
 
एनआईए ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रचारक जोशी के खिलाफ वर्ष 2007 के समझौता एक्सप्रेस ट्रेन विस्फोट कांड के सिलसिले में आरोप पत्र दायर किया था।
 
जोशी को सभी हिन्दू दक्षिणपंथी आतंकवादी घटनाओं के लिए अहम कड़ी माना गया था। जोशी 29 दिसंबर 2007 को मध्यमप्रदेश में देवास के चूना खदान इलाके में जब अपने ठिकाने पर जा रहे थे तब गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।
 
एनआईए को शक था कि जोशी की मालेगांव, अजमेर दरगाह और मक्का मस्जिद (हैदराबाद) के विस्फोटों के अलावा समझौता एक्सप्रेस धमाके में भी भूमिका है। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि यह मामला उसे सौंपा जाए।
 
संप्रग सरकार के दौरान एनआईए ने मध्यप्रदेश की अदालतों में कई आवेदन देकर अनुरोध किया कि वे इसकी जांच उसे सौंपने के लिए मध्यप्रदेश पुलिस को निर्देश दें। 
 
मध्यप्रदेश पुलिस ने पहले जोशी हत्याकांड की जांच बंद कर दी थी लेकिन उसने इस मामले को फिर खोला और देवास में आरोपपत्र दायर कर आरोप लगाया कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर और 4 अन्य ने जोशी की हत्या कर दी, क्योंकि वे समझौता एक्सप्रेस कांड से लेकर अजमेर कांड तक पूरी साजिश का खुलासा कर सकते थे। प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव विस्फोट मामले में गिरफ्तार किया गया था।
 
एनआईए ने 3 साल पहले संप्रग शासन के समय यह मामला अपने हाथ में लिया था, लेकिन पिछले साल केंद्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार के सत्ता में आने के बाद 19 अगस्त को पूरक आरोपपत्र दायर कर कहा कि जांच के दौरान ‘अनुसूचित अपराध’ नहीं पाया गया और निर्धारित एनआईए अदालत इस मामले को संज्ञान वास्ते किसी अन्य अदालत के पास भेज सकती है।
 
केंद्रीय आतंकवाद निरोधक एजेंसी ने अपने पूरक आरोपपत्र में किसी बड़ी साजिश से इंकार किया और कहा कि यह सामान्य हत्या का एक मामला है। प्रज्ञा के प्रति जोशी की अनैतिक हरकत से साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के साथी नाराज हो गए और उन्होंने उन्हें मार डाला।
 
एनआईए महानिदेशक शरद कुमार ने कहा कि मामले की पेशेवर तरीके से गहराई से जांच की गई। उन्होंने कहा कि हमने अदालत में पूरक आरोपपत्र दायर किया। यह निर्णय लेना अदालत का काम है। (भाषा) 
 

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