इसके पहले 6 जनवरी को न्यायालय ने सुपरटेक बिल्डर्स की इस अर्जी को स्वीकार कर लिया था कि उसे 10 जनवरी तक 10 करोड़ रुपए जमा करने से छूट दी जाए। सुपरटेक की दलील थी कि नोटबंदी की वजह से उसे पैसे जुटाने में दिक्कत हो रही है। न्यायालय ने उसकी दलील स्वीकार करते हुए 10 करोड़ रुपए जमा कराने के लिए 20 मार्च तक का समय दिया था।
न्यायालय ने यह भी कहा था कि अगर उसे ऐसा लगेगा कि इन दोनों टॉवरों का निर्माण कानून का उल्लंघन करके किया गया है तो वह उसे ढहाने की अनुमति देगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दोनों टॉवरों को अवैध घोषित करके गिराने के आदेश दिए थे, लेकिन बाद में शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले पर रोक लगा दी थी और टॉवर को सील करने के आदेश दिए थे। न्यायालय ने 14 फीसदी ब्याज के साथ खरीदारों को रकम वापस करने के लिए कहा था। (वार्ता)