कश्मीर में मोबाइल सेवाएं आतंकियों के निशाने पर

सुरेश एस डुग्गर

शुक्रवार, 29 मई 2015 (19:21 IST)
श्रीनगर। आतंकवाद झेल रहे जम्मू कश्मीर में मोबाइल सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। आतंकी संगठन लगातार मोबाइल कंपनियों के टावरों पर हमला बोल रहे हैं। इस बीच राज्य में मोबाइल टावरों और मोबाइल कंपनियों के दूसरे प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया जा रहा है। इन हमलों में हाल के दौर में कुछ मोबाइल कंपनियों के मुलाजिमों की जान भी गई है। इनमें बीएसएनएल का एक कर्मी शामिल हैं। उसे सोपोर में मारा गया। हालत यह है कि अगर मोबाइल सेवा देने वालों को सुरक्षा नहीं मिली तो कश्मीर में मोबाइल सेवा पूरी तरह से ठप हो जाएंगी। हालांकि पुलिस अधिकारियों का कहना था कि मोबाइल सेवा से जुड़े हजारों लोगों को सुरक्षा मुहैया करवाना संभव नहीं है। 
 
सोपोर में फिर आतंकियों ने टेलीकॉम कंपनियों के अधिकारियों व कर्मियों को अपना बोरिया बिस्तर समेटने की धमकी देते पोस्टर जारी किए हैं। पुलिस ने इन पोस्टरों को अपने कब्जे में ले लिया है। स्थानीय लोगों ने बताया कि ये पोस्टर आरमपोरा में मिले हैं। 
 
लश्करे इस्लामी के इन पोस्टरों में टेलीकॉम कपंनियों से जुड़े अधिकारियों व कर्मियों को अपना काम बंद करने को कहा गया है। फरमान न मानने वालों को मारने की धमकी दी गई है। बीते दस दिनों में दूसरी बार सोपोर में पाए गए लश्कर-ए-इस्लाम के पोस्टरों में लोगों से कहा गया है कि वह अपनी जमीनों से मोबाइल टॉवर भी हटाएं अन्यथा वह हश्र के लिए खुद जिम्मेदार होंगे। आतंकियों के इन पोस्टरों के बाद सोपोर व आसपास इलाकों में मोबाइल कंपिनयों से जुड़े लोगों ने अपनी नौकरियों से इस्तीफा देना शुरू कर दिया है।
 
इस बीच युनाइटेड जेहाद काउंसिल से सोपोर में मोबाइल फोन सेक्टर से जुड़े लोगों पर हो रहे हमलों की जांच की मांग कर जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट अर्थात जेकेएलएफ के चेयरमैन मुहम्मद यासीन मलिक ने राज्य में सियासी हलचल पैदा कर दी है।
 
हालांकि, अलगाववादी खेमे ने उनका समर्थन किया है, लेकिन भाजपा और पीडीपी ने इसके लिए उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा कि सिर्फ खबरों में बने रहने के लिए मलिक ऐसा कर रहे हैं। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुग ने यहां एसकेआइसीसी में मलिक के बयान पर अपनी प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि जेकेएलएफ कमांडर सिर्फ सांप्रदायिकता और अलगाववाद को ही हवा देना चाहते हैं। 
 
उनका कहना था कि उन्होंने जो मांग की है, वह सिर्फ कश्मीर में खून खराबे को सही ठहराने व आतंकियों को जायज ठहराने के लिए की है। अगर मलिक को कश्मीर की चिंता है तो वह यहां अमन के लिए प्रयास करें, आतंकियों को मुख्य धारा से जोड़ें। वह यहां मौलिक सुविधाओं के अभाव को दूर करने के लिए आगे आएं। वह सिर्फ आतंक और अलगाववाद को जायज ठहराने में लगे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की युवा इकाई के नेता वहीदुर्रहमान पारा ने कहा कि आतंकियों और अलगाववादियों को यहां कोई नहीं सुन सकता।

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