इसके लिए युवाओं ने शहरभर में पेड़ों पर दर्जनों सकोरे लगाए हैं, जिसमें पानी भी भरते हैं और पक्षियों के लिए दाना भी डालते हैं। पक्षियों के लिए दाना-पानी के लिए होने वाले खर्च की व्यवस्था युवा आपस में चंदा इकट्ठा कर करते हैं।
प्लास्टिक के बाउल नुमा इन सकोरों को शहरों में रस्सी बांधकर पेड़ों पर लटकाया जा रहा है। शहर में पक्षियों के लिए पानी और दाना डाला जाता है। यहां पक्षी झुंड बनाकर आते हैं और सकोरे के ऊपर बैठकर दाना-पानी लेते हैं। राकेश ने बताया कि यूं तो शहर में जगह-जगह प्याऊ अधिक खोली जाती हैं जिससे आमजन की प्यास बुझ जाती है।
दोपहर भर घूमती है युवाओं की टोली : दोपहर होते ही जहां लोग गर्मी से बचने के लिए कूलर-एसी के पास पहुंच जाते हैं। वहीं युवाओं की यह टोली बोतलों में पानी लेकर सड़कों पर निकल जाती है। बोतलों में लाए गए पानी को पेड़ों पर लगाए गए सकोरों में भरा जाता है। जहां दाना कम हो जाता है, वहां सकोरे में दाना भी डाला जाता है।