टिहरी झील में साहसिक पर्यटन

शनिवार, 11 अक्टूबर 2014 (17:27 IST)
-ललित भट्‌ट
देहरादून। एशिया के सबसे ऊंचे माने जाने वाले टिहरी बांध की विशालकाय झील को पर्यटन और साहसिक खेलों से जोड़ने की कवायद शुरू प्रदेश सरकार ने वहां दो दिवसीय 9 व 10 अक्टूबर को टिहरी झील साहसिक पर्यटन महोत्सव का आयोजन किया।

विगत वर्ष की आपदा के बाद बुरी तरह से चरमराए राज्य के पर्यटन को इस उत्सव के माध्यम से एक बार फिर से ढर्रे पर लाने की कोशिश की जा रही है। सरकार आने वाले दिनों में यहां साहसिक पर्यटन नीति तैयार कर टिहरी झील में पर्यटन आधारित विभिन्न गतिविधियों को प्रोत्साहित करने की कोशिश में जुट गई है।  इसमें ग्रामीण पर्यटन, रॉक क्लाइंबिंग, रोपवे, एंगलिंग, माउंटनियरिंग सहित विभिन्न पर्यटन गतिविधियां संचालित की जाएंगी।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि टिहरी झील का नाम श्रीदेव सुमन सागर किया जाएगा। टिहरी झील के आस-पास स्थापित होने वाली पर्यटन योजनाओं का नाम टिहरी झील में डूबे गांवों के नाम पर किया जाएगा। टिहरी के भूगोल को देखकर टिहरी के पुराने वैभव को भुलाया नही जा सकता है। हम अपने अतीत को न भूलें। हमारी दोहरी जिम्मेदारी है कि हम टिहरी को आधुनिक नगरी व पर्यटक स्थल के रूप में स्थापित करें। प्रदेश में हिमालयन दर्शन योजना को शीघ्र शुरू किया जाएगा। खैट पर्वत को माइनर माउंटनियर स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा। डोबराचांटी पुल का निर्माण शीघ्र पूरा किया जाएगा। सिविल टूरिज्म एप्रोज को विकसित किया जाएगा।

रावत ने कहा कि टिहरी के भूगोल को देखकर झील में डूबे टिहरी शहरी के वैभव को भुलाया नहीं जा सकता है। हमने शानदार टिहरी और गांवों को देखा है। मुख्‍यमंत्री ने कहा कि मैं उस दर्द को भूल नहीं सकता हूं, जो आज के झील के वैभव में दिख रहा है। टिहरी के लोगों ने जो बलिदान दिया है, उसे भुलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने कहा कि हमारी दोहरी जिम्मेदारी बन जाती है कि हम टिहरी को आधुनिक नगरी व पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करें। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की नजर में टिहरी बांध से प्रभावितों को विस्थापन पूरा हो सकता है, लेकिन एक मुख्‍यमंत्री की नजर में अब भी काफी सवाल हैं। मुख्यंमत्री ने कहा कि मैं टिहरी के लोगों को विश्वास दिलाता हूं कि बांध प्रभावितों की जो भी समस्याएं हैं, उनका समाधान करने का प्रयास किया जाएगा।

मुखयमंत्री ने कहा कि हमें अतीत के साथ जुड़े रहना है। उन्होंने कहा कि टिहरी झील को झील न कह कर सागर बोलना चाहिए। मुख्‍यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि टिहरी सागर का नामकरण श्रीदेवसुमन सागर करने संबंधी नोटिफिकेशन तत्काल जारी किया जाए। मुख्यमंत्री ने उद्यमियों का आह्‌वान किया कि उत्तराखंड में पर्यटन के क्षेत्र में निवेश की अपार संभावनाएं है, जिनका लाभ उठाएं।

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