गढ़ीमलहरा (छतरपुर) आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बुंदेलखंड में हालात जस के तस बने हुए हैं। बुंदेलखंड में दबंगों की दबंगई थमने का नाम नहीं ले रही, वरन यह बढ़ती ही जा रही है। ग्रामीण अंचलों में आज भी लोग गुलामी की जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
धमकी से घबराए घायल सरपंच ने ग्रामीणों के साथ एसपी ऑफिस और कलेक्टोरेट पहुंचकर झंडा फहराने के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की थी। सरपंच को पुलिस सुरक्षा मिली। उसे घर से पुलिस की गाड़ी में पंचायत भवन लाया गया। पुलिस सुरक्षा और बंदूकों के साए में तिरंगा फहराया गया। इस दौरान तहसीलदार सहित पुलिस के आला अधिकारी मौजूद रहे।
मामला चाहे जो भी हो, पर इतना तो तय है कि देश आजाद हो गया। कई सरकारें केंद्र और राज्य में आईं और गईं, लेकिन बुंदेलखंड के ग्रामीण अंचलों के हालात अब भी नहीं बदले। यहां ग्रामीण आज भी गुलामों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।