कोटा में छात्रों की आत्महत्या से परेशान पुलिस और कोचिंग संस्थानों ने दिया यह बयान...
बुधवार, 13 सितम्बर 2023 (19:58 IST)
Suicide case of students in Kota : राजस्थान के कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले में ऐहतियाती कदम उठाने के प्रयास कर रहे पुलिस और जिले के अधिकारियों के अनुसार कोचिंग संस्थानों का केंद्र कहे जाने वाले शहर में छात्रों की खराब मानसिक हालत का एक बड़ा कारण यह है कि अभिभावक उनसे कहते हैं कि अब वापस नहीं आना है।
शीर्ष कोचिंग संस्थानों का दावा है कि अधिकतर माता-पिता उन्हें बच्चों के बारे में दी गई जानकारी को स्वीकार करने से इनकार कर देते हैं और चाहते हैं कि उनके बच्चे इंजीनियरिंग और मेडिकल प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी जारी रखें।
इस बीच, बुधवार को कोटा में राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) की तैयारी कर रही 16 वर्षीय परीक्षार्थी ने कथित तौर पर अपने छात्रावास के कमरे में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। वह इस साल कोटा में आत्महत्या करने वाली 23वीं विद्यार्थी है। पिछले साल 15 छात्रों ने आत्महत्या की थी।
पुलिस और कोचिंग संस्थानों का कहना है कि बच्चे में अवसाद के संभावित लक्षणों के बारे में माता-पिता से संपर्क करने से लेकर किसी विशेष विषय या करियर के लिए कोई रुझान न होना, घर से दूर रहने में परेशानी, ऐसे मुद्दों के बारे में माता-पिता से बात करने पर उन्हें अकसर नाराजगी का सामना करना पड़ता है और अधिकतर अभिभावक बच्चों की बात नहीं मानते।
कोटा के एएसपी चंद्रशील ठाकुर ने बताया, छात्रों के साथ हमारी बातचीत के दौरान, हमें एक छात्र मिला जो स्पष्ट रूप से उदास था। मैंने उसके पिता को फोन करने का फैसला किया। उनकी प्रतिक्रिया थी, ये तो औरों को उदास कर दे, ऐसा कुछ नहीं है। पिता ने यह मानने से इनकार कर दिया कि यह कोई मुद्दा है जिस पर उनके ध्यान देने या हस्तक्षेप करने की जरूरत है।
एक शीर्ष कोचिंग संस्थान के एक प्रतिनिधि ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर कहा, पिछले एक साल में हमने 50 से अधिक अभिभावकों से संपर्क किया है और उन्हें स्पष्ट रूप से बताया है कि उनके बच्चे को उनके साथ रहने की जरूरत है। उनमें से कम से कम 40 लोग अपने बच्चे को घर वापस ले जाने या कोचिंग से हटाने के लिए सहमत नहीं थे। अन्य जिन्होंने सलाह पर कुछ ध्यान दिया, वे हमारी कोचिंग छोड़कर चले गए, लेकिन उन्होंने अपने बच्चे का दूसरे संस्थान में दाखिला करा दिया।
उन्होंने कहा, हम माता-पिता के लिए परामर्श सत्र और गतिविधियां भी आयोजित करते हैं, लेकिन ऐसी पहल के दौरान उपस्थिति बहुत कम होती है। माता-पिता अक्सर व्यस्तताओं या वित्तीय दिक्कतों का हवाला देते हुए यहां आने में टालमटोल करते हैं।
इंजीनियरिंग के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) और मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं की तैयारी के लिए सालाना 2.5 लाख से अधिक छात्र कोटा आते हैं।
Edited By : Chetan Gour (भाषा)