पंजाब में 'कैप्टन' के खिलाफ बुलंद हुए बगावती सुर, अमरिंदर विरोधी हो रहे हैं एकजुट
मंगलवार, 24 अगस्त 2021 (21:18 IST)
चंडीगढ़। पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस में सिर फुटव्वल शुरू हो गई है। नवजोतसिंह सिद्धू के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मुहिम तेज हो गई है। ताजा मामले में पंजाब के 4 कैबिनेट मंत्रियों और कई अन्य विधायकों ने अपने ही 'कैप्टन' के खिलाफ बगावती झंडा उठा लिया है। बागियों का कहना है कि उन्हें अमरिंदर सिंह पर विश्वास नहीं है। क्योंकि उन्होंने 2017 के विधानसभा चुनावों में जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं किया है।
जिन 4 मंत्रियों ने अमरिंदर के खिलाफ मुहिम शुरू की है, उनमें तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया, सुखजिंदर सिंह रंधावा और चरणजीत सिंह चन्नी शामिल हैं। इनके अलावा करीब 24 विधायक भी ऐसे हैं, जिन्होंने बाजवा के आवास पर मुलाकात की थी। बताया जा रहा है कि रंधावा के घर भी बागियों ने बैठक की थी।
वहीं, बाजवा ने कहा है कि राज्य में मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात का समय मांगेंगे और उन्हें राज्य की स्थिति से अवगत कराएंगे।
दूसरी ओर चरणजीत चन्नी का कहना है कि कई विधायक इस बात को लेकर चिंतित है कि 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा किए गए वादों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि हमें विश्वास नहीं है कि इन मुद्दों का अब कोई समाधान होगा। बाजवा ने कहा कि कांग्रेस को पंजाब में मुख्यमंत्री बदलना चाहिए, अन्यथा विधानसभा चुनाव में पार्टी के लिए मुश्किल हो सकती है।
इस बीच, यह भी खबर है कि कैप्टन विरोधी मंत्री और विधायक जल्द ही देहरादून में कांग्रेस के पंजाब मामलों के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से मुलाकात कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री को बदलने की मांग : बाजवा ने कहा कि वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने और राज्य की राजनीतिक स्थिति से उन्हें अवगत कराने के लिए समय मांगेंगे। उन्होंने कहा कि कड़े कदम उठाने की जरूरत है और अगर मुख्यमंत्री को बदलने की जरूरत है, तो यह किया जाना चाहिए। बैठक के बाद, चन्नी ने मीडिया से कहा कि पार्टी के कई विधायक और मंत्री मंगलवार को यहां एकत्रित हुए और उन वादों को लेकर चिंता व्यक्त की, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है। इन वादों में 2015 में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के मामलों में न्याय में देरी, मादक पदार्थ रैकेट में शामिल बड़े लोगों को पकड़ना और बिजली खरीद समझौतों को रद्द करना शामिल है। उन्होंने कहा कि बाजवा, सरकारिया, रंधावा और पंजाब कांग्रेस महासचिव परगट सिंह पार्टी आलाकमान से मुलाकात करेंगे।
ये पांचों अमरिंदर सिंह के विरोधी माने जाते हैं। यह बैठक पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों पर विवादास्पद टिप्पणी करने के लिए की गई कड़ी आलोचना के बीच हुई। हालांकि, सिद्धू बैठक में मौजूद नहीं थे।
चन्नी ने कहा कि कई विधायक 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस द्वारा किए गए उन वादों को लेकर चिंतित हैं जिन्हें अभी तक पूरा नहीं किया गया है। चन्नी ने कहा कि हमारे मुद्दे हल नहीं हो रहे हैं। हमें अब विश्वास नहीं है कि इन मुद्दों का समाधान किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कोटकपूरा पुलिस गोलीबारी की घटना में एसआईटी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल से पूछताछ के बाद कुछ नहीं हुआ। चन्नी ने कहा, आज स्थिति ऐसी है कि मुख्यमंत्री (अमरिंदर सिंह) के साथ हमारे मुद्दों का समाधान नहीं हो रहा है और इसलिए हम पार्टी आलाकमान से मिलने जा रहे हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या मुख्यमंत्री को हटाने का प्रयास किया जा रहा है, बाजवा ने कहा कि यह प्रयास नहीं बल्कि लोगों की मांग है। मुख्यमंत्री के नए चेहरे पर एक सवाल के जवाब में बाजवा ने कहा कि फैसला पार्टी आलाकमान द्वारा लिया जाएगा।
उन्होंने दावा किया कि पंजाब में एक धारणा बन गई है कि अमरिंदर सिंह और शिरोमणि अकाली दल की एक-दूसरे के साथ मिलीभगत है और इसने कांग्रेस की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचायी है। कैबिनेट में संभावित फेरबदल के सवाल पर रंधावा ने कहा कि उन्हें किसी पद का लालच नहीं हैं और केवल चुनाव से पहले लोगों से किए गए वादों को पूरा करना चाहते हैं। (इनपुट एजेंसी)