बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सूत्रों ने बताया कि रात नौ बजकर सात मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट परंपरागत पूजा अर्चना और रीति रिवाज से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस दौरान सेना के बैंड की धुनों और भक्तों की जय बदरीविशाल के नारों से वातावरण गूंज उठा। कपाट बंद होने के मौके पर धाम को 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया था।
सूत्रों के मुताबिक, कपाट बंद होते समय मंदिर के पुजारी रावल अमरनाथ नंबूदरी ने भगवान बदरीविशाल को माणा गांव की महिलाओं द्वारा बनाया गया घृत कंबल ओढ़ाया। सूत्रों ने बताया कि भगवान को सर्दी से बचाव के लिए सदियों से इस धार्मिक परंपरा का निर्वाह किया जाता है।