उन्होंने कहा कि गांव के नीचे की ओर खिसकने का कारण भूमिगत जल निकायों के नीचे की ओर रास्ता बनाने के अलावा सोबला-टिडांग मार्ग पर चौड़ीकरण का काम है। इसके परिणामस्वरूप उस भूमि की सतह कमजोर हो रही है, जिस पर गांव स्थित है।
उन्होंने कहा कि गांव भूस्खलन के मलबे पर स्थित है और मिट्टी पहले से ही कमजोर है, जिसके नीचे कोई कठोर चट्टान नहीं है। कुमार ने कहा कि धारचूला और मुनस्यारी उपमंडलों के करीब 200 गांव सदियों से आसपास की पहाड़ियों में भूस्खलन के बाद जमा हुए मलबे पर स्थित हैं और भूस्खलन के लिहाज से ये अत्यधिक संवेदनशील हैं।