महाभ्रष्ट यादवसिंह के साझीदार थे मायावती के भाई-भाभी

लखनऊ।  नोएडा के चर्चित और महाभ्रष्ट इंजीनियर यादवसिंह की कारगुजारियों में उनके साझीदार थे तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार और भाभी विचित्रलता। मौलिक भारत ट्रस्ट नामक संस्था के सदस्यों ने नोएडा के इंजीनियर यादवसिंह से जुड़ी 25 और कम्पनियों की सूची जारी की है। ये सभी कम्पनियां संदिग्ध हैं और उनका अनुमान है कि फर्जीवाड़े तथा जालसाजी में लिप्त हैं। इन सभी कम्पनियों में तीन महिलाओं- कुसुमलता, अलका विक्रम तथा विचित्रलता के नाम जुडे हैं।
 
इन तीन महिलाओं में कुसुमलता यादवसिंह की पत्नी है, जबकि अलका विक्रम ग्रेटर नोएडा व यमुना एक्सप्रेस-वे विकास प्राधिकरण के महाप्रबंधक (वित्त) ललित विक्रम बसंतवानी की पत्नी है। इनके अलावा विचित्रलता यूपी की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती के भाई आनंद कुमार की पत्नी है। 
कौन है ललित विक्रम- अलका विक्रम जो उन्नति इन्फ्राटेक प्रा.लि. की निदेशक व प्रमोटर के पति ललित विक्रम बसंतवानी ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरणों के महाप्रबंधक (वित्त) रहे हैं। इससे पूर्व यह व्यक्ति सेक्टर-62 नोएडा स्थित यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में अधिकारी था। 
 
उल्लेखनीय है कि इसी शाखा में नोएडा प्राधिकरण के बैंक खाते हैं और यही बैंक शाखा प्राधिकरण के टेंडर फार्म भी जारी करती रही है। यह बैंक अधिकारी यादवसिंह के घोटालों व कारनामों को अंजाम देने वाला प्रमुख वित्तीय सूत्रधार था तीनों प्राधिकरणों के अधिकांश घोटालों में इस व्यक्ति की कहीं न कहीं संलिप्ता जरूर है क्योंकि यह प्राधिकरणों की ब्राशर एवं टेंडर फार्मों को जारी व स्वीकार करने के खेल में यादवसिंह, आनंद कुमार के इशारे पर हेराफेरी करता था। 
 
आनंदकुमार एवं उनकी पत्नी विचित्रलता के अनेकों कम्पनियों में नाम व भागीदारी इस राजनीतिक परिवार की इन घोटालों में संलप्तिता को उजागर कर रहे हैं। जिसकी गहन जांच व कड़ी कार्रवाई बहुत ही आवश्यक है।
 
हवाला के जरिये कालेधन का निवेश : इंडियाना एयर प्रा.लि. यह कंपनी भी यादवसिंह, आनंद कुमार, ललित विक्रम बसंतवानी सिंडीकेट से जुड़ी हुई है। एयरलाइंस बनाने के नाम पर इस कम्पनी के लेने-देने के तार मारीशस रूट से भी जुड़े होने की संभावना है और इसका मुख्‍य उद्देश्य कालेधन को सफेद बनाना था। इस कम्पनी को कारपोरेट मामलों के मंत्रालय से पांच प्रकार के व्यवसाय करने की मंजूरी मिली हुई है। इसकी गहन जांच जरूरी है।
 
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अनुज अग्रवाल, कैप्टन विकास गुप्ता, संजय शर्मा, डॉ. नूतन ठाकुर जो कि मौलिक भारत ट्रस्ट के कार्यकर्ता हैं और यूपी के गौतमबुद्धनगर जिले में स्थित नोएडा, ग्रेटर नोएडा एवं यमुना एक्सप्रेसवे में चल रहे घोटालों, निलंबित, इंजीनियर यादवसिंह की करतूतें एवं घोटालों की पर्ते उधेड़े रहे हैं। 
 
ट्रस्ट के सदस्यों का कहना है कि उनकी मांग व दबाव के फलस्वरूप अब इन तीनों प्राधिकरणों में 10 लाख एवं इससे अधिक के ठेके ई-टेंडरिंग के अंतर्गत आए हैं। साथ ही यूपी सरकार भी हरकत में आई है। कालाधन की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर गठित एसआईटी ने तीनों प्राधिकरणों के घोटालों को अपनी जांच के दायरे में ले लिया है।
 
मौलिक भारत सदस्यों का कहना है कि जांच को जिस तीव्रता की आवश्यकता है वह उतनी नहीं है। जांच एजेंसियां कुछ लोगों को नोटिस भेजने की तैयारी कर रही हैं, किन्तु यह पर्याप्त नहीं है। लाखों, करोड़ों के इन घोटालों में यादव तो एक मोहरा व मुखौटा मात्र है। असली घोटालेबाज एवं अपराधी अभी भी खुले आम घूम रहे हैं।

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