मौजूदा समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री ने इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे दी है। उन्होंने कहा, 'योजनाओं में कोटा देना उचित नहीं है। हम इसे समाप्त करने के पक्षधर हैं। योजनाओं से बिना भेदभाव के सभी का विकास होना चाहिए।'
इसके पहले अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी भी इस कोटे को खत्म करने की सहमति दे चुके हैं। दरअसल, नई सरकार के गठन के साथ ही अल्पसंख्यकों को दिए जा रहे इस कोटे को खत्म किए जाने की बात शुरू हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश सरकार की योजनाओं में अल्पसंख्यकों को कोटा देने की शुरुआत पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2012 में की थी। जिसके तहत प्रदेश सरकार की 85 योजनाओं में अल्पसंख्यकों के लिए 20 फीसदी कोटा निर्धारित किया गया था। इनमें सबसे ज्यादा समाज कल्याण और ग्राम विकास विभाग की हैं। अब तक तमाम शासनादेशों में लिखा जाता था कि योजना में कम-से-कम 20 प्रतिशत अल्पसंख्यकों को कवर किया जाए। साथ ही जिन क्षेत्रों में कम-से-कम 25 प्रतिशत आबादी अल्पसंख्यकों की होती थी, वहां योजनाओं को सख्ती से लागू किए जाने के निर्देश होते थे। पहला शासनादेश मुख्य सचिव जावेद उस्मानी की तरफ से जारी हुआ था। इसके बाद समय-समय पर इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए जाते रहे हैं। सभी जिला अधिकारियों के अधीन एक कमिटी बनाई गई थी, जो इसकी निगरानी करती थी।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद समाजवादी सरकार की कई योजनाओं को खत्म किया जा चुका है। योगी सरकार अखिलेश यादव के फोटो वाले राशन कार्ड बंद कर चुकी है। साथ ही समाजवादी पेंशन योजना पर रोक के साथ पोषण मिशन कमेटी भी रद्द कर दी गई है। इसके अलावा जिन योजनाओं पर समाजवादी शब्द था, उसे भी हटा दिया गया है। समाजवादी शब्द की जगह मुख्यमंत्री लिखा गया है। (एजेंसी)