सैनिकों ने पेश की सेवा की मिसाल

मंगलवार, 25 जून 2013 (19:20 IST)
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श्रीनगर। सेना के जवान हमेशा अपनी वीरता के लिए सराहना बटोरते रहे हैं लेकिन सेवा और समर्पण की मिसाल उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान तब सामने आई जब जम्मू-कश्मीर में तैनात दो अधिकारी छुट्टी पर होते हुए भी बचाव कार्य में जुट गए।

उत्तराखंड के रहने वाले मेजर महेश कार्की और कैप्टन अमित कुमार छुट्टियों पर अपने घर गए हुए थे, तभी उनके राज्य पर यह विपदा आई, जिसे देखकर वे खुद को रोक नहीं पाए।

उत्तराखंड में 15 जून को जब बाढ़ आई, तब गोरखा राइफल्स के कार्की वहीं मौजूद थे। वे अपनी पत्नी, दो बच्चे और सास के साथ अपने वाहन में देहरादून से बद्रीनाथ जा रहे थे, तभी रास्ते में कर्णप्रयाग के पास भारी बारिश के बीच फंस गए।

रक्षा विभाग के प्रवक्ता ने यहां कहा कि वे इसके बावजूद आगे बढ़ते रहे और अगली शाम जोशीमठ पहुंचे, जहां सड़कें टूटीं होने की वजह से उन्हें वापस लौटने को कहा गया।

प्रवक्ता ने बताया कि कार्की के पास तब दो रास्ते थे। या तो वे वापस लौट जाते या सड़क की दूसरी ओर फंसे हुए 25 लोगों की मदद के लिए कुछ करते। उन्होंने कहा कि राष्ट्रसेवा की भावना से ओतप्रोत कार्की ने अपने परिवार को वहीं इंतजार करने को कहा और खुद फंसे हुए लोगों को बचाने निकल पड़े।

इस युवा अधिकारी ने फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए इस खस्ताहाल सड़क पर अपना वाहन एसयूवी चलाते हुए कई चक्कर लगाए और सभी को निकालकर गोविंदघाट में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।

अपने साहस और सेवाभाव की मिसाल पेश करने वाले दूसरे अधिकारी 14 गढ़वाल के कैप्टन कुमार हैं, जिन्होंने इस विपदा की घड़ी में अपनी जिंदगी की चिंता किए बिना लोगों को बचाया। अपने कमान अधिकारी से अनुमति लेकर वे 21 जून को वायुसेना के हेलीकॉप्टर में बैठकर केदारनाथ गए और वहां फंसे लोगों को बचाया।

प्रवक्ता ने बताया कि वे आराम से घर पर बैठकर अपनी छुट्टियों का आनंद ले सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने न सिर्फ अपनी छुट्टियां कुर्बान कीं, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र से आगे बढ़कर सेवा दी।

केदारनाथ में बचाव कार्य पूरा हो जाने पर भी उन्होंने आराम नहीं किया और गौरीकुंड जाकर लोगों को बचाने में जुट गए। इस अधिकारी ने फोन पर कहा, मैं कश्मीर में तैनात एक सैनिक हूं। मेरा यह काम कश्मीर की ओर से उत्तराखंड को समर्पित है। (भाषा)

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